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रोग दर होते हैं। वासना एवं कामेच्छा नियंत्रित रहती है। महिलाओं में सफेद प्रदर नियंत्रित रहता है तथा बच्चों को स्वप्न दोष नहीं होता। बैठने हेतु सुखासन, पदमासन, वजासन तथा गोदुहासन जैसे संतुलित आसनों में अधिकाधिक देर तक सीधी कमर रख कर बैठने का अभ्यास करना चाहिये । प्रारम्भ में हमें कुछ समय बैठने के पश्चात् पीड़ा और दर्द की अनुभूति हो सकती है। परन्तु यदि अभ्यास करते करते हम जितना अधिक इन आसनों में बिना परेशानी बैठ सकें तो हमारा शरीर स्वतः संतुलित हो जायेगा। बिना शारीरिक संतुलन ऐसा संभव नहीं हो सकता। शरीर के संतुलित होते ही हमारी रोग प्रतीकारात्मक क्षमता बढ़ जायेगी और हम स्वस्थ बन जायेंगे ! अतः प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को नियमित रूप से अपने शरीर को ऐसी स्थिति में रखने का अभ्यास करना चाहिये। काया की स्थिरता ध्यान साधना का प्रथम चरण हैं। जब तक काया का हलन-चलन स्वच्छंद् ढंग से होगा, अनियंत्रित अस्थिर होगा, ध्यान साधना नहीं हो सकती।
पैरों को संतुलित करने की विधि
हम प्रतिदिन हजारों कदम चलते हैं। यदि हमारे दोनों पैर बराबर न हुये, एक पैर बड़ा और दूसरा छोटा हुआ तो निश्चित रूप से एक-पैर पर अधिक दबाव पडेगा। फलतः हमारे शरीर का दाहिना और बायां संतुलन बिगड़ने लगेगा। अतः उपचार करते समय या स्वस्थ रहने हेतु दोनों पैरों को संतुलित करना जरूरी होता है।
. . आज स्वास्थ्य के संबंध में अधिकांश व्यक्तियों का चिन्तन प्रायः नगण्य, अथवा अविवेक पूर्ण और सही नहीं होता। हमारी अधिकतर गतिविधियाँ देखा-देखी, सुनी-सुनाई, विज्ञापन पर आधारित, भीड़ से प्रभावित होती है। प्रायः उसके साथ सम्यक चिन्तन न होने से कभी-कभी अच्छी प्रवृत्तियाँ भी हानिकारक हो सकती हैं। जैसे जिस व्यक्ति का एक पैर लम्बा और दूसरा पैर छोटा होता है. यदि ऐसा व्यक्ति पैरों का संतुलन किये बिना प्रतिदिन घूमने जाता है, तो उसके लिये घूमना लाभ के स्थान पर हानिकारक भी हो सकता हैं। शरीर के किसी भाग पर अनावश्यक दबाव लगातार पड़ते रहने से वह भाग रोग ग्रस्त हो जाता है। अतः घूमने से पहले शरीर का संतुलन (Alligment अथवा Balance) आवश्यक होता है।'
रोगी को सीधा सुलावे। दोनों पैरों के अंगूठे एवम् टखने को पास में रखकर देखें कि दोनों अंगूठे बराबर हैं अथवा नहीं, तथा दोनों टखनों के केन्द्र बराबर हैं अथवा नहीं। यदि दोनों अंगूठे अथवा टखनों के केन्द्र बराबर न हों तो दोनों पैर . बराबर नहीं होंगे। जिस पैर का अंगूठा छोटा हो, उस अंगूठे का खींच कर बराबर किया जा सकता है। परन्तु बहुत समय ऐसी स्थिति आती है कि उस अंगूठे को खींचना संभव नहीं होता। ऐसी स्थिति में जिस पैर को बराबर करना हो उस घुटने को पेट से स्पर्श करने का प्रयास करें। अगर ऐसा करना संभव न हो तो, घुटने को
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