Book Title: Swadeshi Chikitsa Swavlambi aur Ahimsak Upchar
Author(s): Chanchalmal Choradiya
Publisher: Swaraj Prakashan Samuh

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Page 22
________________ मेरूदण्ड को संतुलित करने की विधि- . सरवायकल का संतुलन- रोगी को उल्टा सुलावें। रोगी के दोनों हाथ शरीर से स्पर्श करते हुये रखें। फिर चिकित्सक को अपनी दोनों हथेलियों को रोगी के दोनों कानों से लगाते हुये गर्दन को जमीन से थोड़ा उठाते हुये बायें दाहिसने जितनी गर्दन घूम सके धीरे-धीरे 5-7 बार घुमायें। उसके पश्चात् 5 से 7 बार गर्दन .. को धीरे धीरे ऊपर-नीचे जितनी घूम सकती है, घूमा। फिर उसी के साथ एक हल्का सा झटका बायें दाहिने दें। ताकि कोई जकड़न हों तो आसानी से निकल जाती है। गर्दन को झटका देते समय इतना ध्यान रखें कि गर्दन पहले जितनी दाहिने बायीं घूम रही थी उससे आधा से ज्यादा न घूमावें।। इस प्रक्रिया से सरवायकल स्पोण्डोलायसिस में शीघ्र आराम मिलता है 4-5 दिन लगातार ऐसा उपचार करने से वर्षा पुराना रोग दूर हो जाता है। लेकिन . . यह क्रिया विना अभ्यास चिकित्सक के नहीं करनी चाहिए। मेरू दण्ड के नीचे के भाग का संतुलन- उसके पश्चात् रोगी की ... रीढ़ के दोनों तरफ उसको सहन हो सके उसके अनुरूप ऊपर से नीचे पूरी मेरूदण्ड तक पहले दोनों हथेलियों से, उसके पश्चात् हथेलियों को बंद कर दोनों मुट्ठियों और अंगुठे का दबाव देते हुये तथा अन्त में रीढ़ के दोनों तरफ एक एक मणके पर 5-5 बार अंगूठे से घूमावदार दबाव देवें। तदुपरान्त दोनों पगथलियों की एडियों को घुटनों पर दबाव देते हुये पुट्ठों को स्पर्श करावे। फिर बारी बारी से एक पगथली को टखने । .. से पकड़ कर 5-5 बार उल्टा सीधा, बायें-दाहिने, आगे-पीछे 5-5 बार घूमावें। - उसके पश्चात दोनों पैरो के अंगूठों और अंगुलियों को 5-5 बार गोल गोल उल्टा सीधा घूमावें तथा झटका देते हुये हथेली को छोड़े। फिर अंगूठे को एक हथेली में तथा बाकी चार अंगुलियों को दूसरी हथेली मे पकड़ आगे पीछे 5-5 बार घूमावें। इसी प्रकार एक हथेली में एक एक कम करते हुये 5-5 बार घूमावें। इस प्रक्रिया से पूरे शरीर की नाड़ी संस्थान में आये अवरोध दूर होने लगते हैं। विशेष रूप से स्लीप डिस्क, साईटिका तथा ऐडी से लगाकर गर्दन के सभी प्रकार के रोगों में शीघ्र आराम मिलता है। पुराने से पुराने स्लीप डिस्क, के रोगी जिन्हें डाक्टर पूर्ण आराम की सलाह देते हैं और महिनों आराम के बाद भी ठीक नहीं हो पाते, मेरू दण्ड को संतुलित करने की इस सरल विधि से 5-7 दिनों में प्रायः स्वस्थ हो जाते हैं। ... मेरू दण्ड के घुमावदार व्यायाम . मनुष्य को छोड़कर सभी प्राणियों की रीढ़ हड्डी क्षितिज के समानान्तर होती है। अतः चलने फिरने में उनके मणके स्वयं हलचल में आ जाते हैं। परिणाम स्वरूप इसमें सुशुम्ना नाड़ी की सुप्त शक्तियां स्वयं जागृत हो जाती है। यही कारण है कि अन्य जीवों को मनुष्य की अपेक्षा स्नायु सम्बन्धी कष्ट कम होते हैं। यदि मनुष्य भी 21

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