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सुत्तागमे
[सूयगड
जे ते उ वाइणो एवं न ते ओहंतराऽऽहिया ॥२०॥२०॥ ते नाचि संधि नचाणं न ते धम्मविऊ जणा । जे ते उ वाइगो एवं न ते संसारपारगा ॥ २१ ॥ २१ ॥ ते नावि संधिं नच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा । जे ते उ वाइगो एवं न ते गम्भस्स पारगा ॥ २२ ॥ २२ ॥ ते नावि संधि नच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा । जे ते उ वाइणो एवं न ते जम्मस्स पारगा ॥ २३ ॥ २३ ॥ ते नावि संधि नच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा । जे ते उ वाइणो एवं न ते दुक्खस्स पारगा ॥ २४ ॥ २४ ॥ ते नावि संधि नच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा । जे ते उ वाइणो एवं न ते मारस्स पारगा ॥ २५ ॥ २५ ॥ नाणाविहाइं दुक्खाइं अणुहोन्ति पुणो पुणो । संसारचक्कवालम्मि मन्चुवाहिजराकुले ॥ २६ ॥ २६ ॥ उच्चावयाणि गच्छन्ता गम्भमेस्सन्ति गन्तसो । नायपुत्ते महावीरे एवमाह जिणुत्तमे ॥ २७ ॥ २७ ॥ ति बेमि ॥ समयज्झयणे पढमुद्देसो ॥
आघायं पुण एगेसिं उववन्ना पुढो जिया । वेदयन्ति सुहं दुक्खं अदुवा लुप्पन्ति ठाणओ ॥ १॥ २८ ॥ न तं सयं कई दुक्खं कओ अन्नकडं च णं । सुहं वा जइ वा दुक्खं सेहियं वा असेहियं ॥ २ ॥ २९ ॥ सयं कडं न अन्नेहिं वेदयन्ति पुढो जिया । संगइयं तं तहा तेसि इहमेगेसिमाहियं ॥३॥ ३०॥ एवमेयाणि जम्पन्ता बाला पण्डियमाणिणो । निययानिययं सन्तं अयाणन्ता अबुद्धिया ॥ ४ ॥ ३१ ॥ एवमेगे उ पासत्था ते भुजो विष्पगन्भिया। एवं उवट्ठिया सन्ता न ते दुक्खविमोक्खगा ॥ ५ ॥ ३२ ॥ जविगो मिगा जहा सन्ता परियाणेण वज्जिया। असङ्कियाई सङ्कन्ति सकियाइँ असङ्किणो ॥ ६ ॥ ३३ ॥ परियाणियाणि सन्ता पासियाणि असङ्किणो। अन्नाणभयसंविग्गा संपलिन्ति तहिं तहिं ॥ ७ ॥ ३४ ॥ अह तं पवेज वझं अहे बज्झस्स वा वए । मुच्चेज पयपासाओ तं तु मन्दे न देहई ॥ ८॥ ३५॥ अहियप्पाहियपन्नाणे विसमन्तेणुवागए। स बद्ध पयपासण तत्थ घायं नियच्छइ ॥ ९ ॥ ३६ ॥ एवं तु समणा एगे मिच्छदिट्ठी अणारिया। असकियाई सङ्कन्ति सकियाइँ असङ्किणो॥ १० ॥ ३७ ॥ धम्मपनवणा जा सा तं तु सङ्कन्ति मूढगा। आरम्भाई न सङ्कन्ति अवियत्ता अकोविया ॥ ११॥ ३८ ॥ सव्वप्पगं विउक्कस्सं सव्वं नूमं विहणिया। अप्पत्तियं अकम्मंसे एयमढे मिगे चुए ॥ १२ ॥ ३९ ॥.जे एयं नाभिजाणन्ति मिच्छदिट्ठी अणारिया । मिगा वा पास बद्धा ते घायमेस्सन्ति णन्तसो ॥ १३ ॥ ४० ॥ माहणा समणा एगे सव्वे माण सयं वए । सव्वलोगे वि जे पाणा न ते जाणन्ति किंचण ॥ १४ ॥४१॥ मिलक्ष अमिलक्खुस्स जहा वुत्ताणुभासए । न हे से वियाणाइ भासियं तऽणुभासए ॥१५॥