Book Title: Suttagame 01
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti

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Page 1256
________________ १२०४ सुत्तागमे [पण्हावागरण ढिकरकयसत्तिहलगयमुसलचककोंततोमरसूललउलभिडिमालस[६]द्धलपट्टिसचम्मेद्वदुहणमुट्ठियअसिखेडगखग्गचावनारा(य)यकणककप्पणिवासिपरसुटंकतिक्खनिम्मलअण्णेहि य ए(य)वमादिएहिं असुभेहिं वेउचिएहिं पहरणसतेहिं.अणुवद्धतिव्ववेरा परोप्परवेयणं उदीरेंति अभिहणंता, तत्थ य मोग्गरपहारचुणियमुसुंढिसंभग्रामहितदेहा जंतोवपीलणफुरंतकप्पिया केइत्थ सचम्मका विगत्ता णिम्मूल(ल)लूणकण्णोठ्ठणासिका छिण्णहत्थपादा असिकरकयतिक्खकोतपरसुप्पहारफालियवासीसंतच्छितंगमंगा कलकलमाणखारपरिसित्तगाढडज्झंतगत्तकुंतग्गभिण्णजजरियसव्वदेहा विलोलंति मही:तले (निग्गयग्गजीहा) विसूणियंगमंगा, तत्थ य विगसुणगसियालकाकमज्जास्सरभदीवियवियग्घगसङ्कलसीहदप्पियखुहाभिभूतेहिं णिच्चकालमणसिएहिं घोरा-ss-रसमाणभीमरूवेहिं अक्कमित्ता दढदाढागाढडककड्डियसुतिक्खनहफालियउद्धदेहा विच्छिप्पंते समंतओ विमुक्कसंधिवंधणावियंगमंगा कंककुररगिद्धघोरकट्ठवायसगणेहि य पुणो.खेरथिरदढणक्खलोहतुंडेहिं ओवतित्ता पक्खाहयतिक्खणक्खविकिन्नजिब्भंछियनयणनि(द)ओलुग्गविगतवयणा, उक्कोसंता य उप्पयंता निपतंता भमंता पुव्वकम्मोदयोवगता पच्छाणुस ये]एण डज्झमाणा णिदंता पुरेकडाई कम्माइं पावगाइं तहिं २ तारिसाणि ओसन्नचिक्कणाइंदुक्खातिं अणुभवित्ता ततो य आउक्खएणं उव्वट्टिया समाणा, वहवे गच्छंति तिरियवसहिं दुक्खुत्तरं सुदारुणं जम्मणमरणजरावाहिपरियट्टणारहट्ट जलथलखहचरपरोप्परविहिंसणपवंचं इमं च जगपागडं वरा[का]गा दुक्खं पावेन्ति, दीहकालं, कि ते?, सीउण्हतण्हाखुहवेयणअप्पईकारअडविजम्मणणिच्चभउब्विभगवासजग्गणवहवंधणताडणंकणनिवायणअद्विभंजणनासाभेयप्पहारदूमणछविच्छेयणअभिओगपावणकसंकुसारनिवायदमणाणि वाहणाणि य मायापितिविप्पयोगसोयप-- रिपीलणाणि य सत्थग्गिविसाभिघायगलगवलआवलणमारणाणि य गलजालुच्छिपणाणि प(ओ)उलण-विकप्पणाणि य जावजीवि[क]गवंधणाणि पंजरनिरोहणांणि य सयूहनिद्धाडणाणि धमणाणि य दोहणाणि य कुदंडगलवंधणाणि वाडगपरिवारगाणि य पंकजलनिमज्जणाणि (य) वारिप्पवेसणाणि य ओवायणिभंगविसमणिवडणदवग्गिजालदहणाई य, एवं ते दुक्खसयसंपलित्ता नरगाउ आगया इहं सावसेसकम्मा तिरिक्खपंचेंदिएसु पाविति पावकारी कम्माणि पमायरागदोसवहसंचियाई अतीव अस्सायककसाइं भमरमसगमच्छिमाइएसु य जाइकुलकोडिसयसहस्सेहिं नवहिं चउरिंदियाण तहिं तहिं चेव जम्मणमरणाणि अणुभवंता कालं संखेजकं ममंति नेरइ[अ]यसमाणतिव्वदुक्खा फरिसरसणघाणचक्खुसहिया तहेव तेइंदिएसु ऊंयुपिप्पीलिकाअवधिकादिकेसु य जातिकुलकोडिसयसहस्सेहिं अट्ठहिं अणूणएहिं

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