Book Title: Suttagame 01
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti

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Page 1302
________________ अहम्मिए जाव दुपारण सा उप्पला कूडा कूड[]गाहिणीए १२५० सुत्तागमे [विवागसुर्य दा(ग)णियं गिण्हइ २ त्ता वाणियगा(म)मे नय(र)रे मज्झंमज्झेणं जाव पडिदंसेइ, [२] समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-एवं खलु अहं भंते ! तु(ज्झे)व्मे (हि)हिं अब्भणु-नाए समाणे वाणियगामं जाव तहेव (नि)वे-एइ, से णं भंते ! पुरिसे पुव्वभवे के आ-सी जाव पञ्चणु-भवमाणे विहरइ ? एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे हत्थिणाउरे नामं नयरे होत्था रिद्ध०, तत्थ णं हत्यिणाउरे नयरे सुनंदे नामं राया होत्था महया०, तत्थ णं हत्यिणाउरे (ण(य)गरे) वहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे गोमंड(वे)वए होत्था अणेगखंभसयस-निविढे पासाईए ४, तत्थ णं वहवे न(यगरगोलवाणं सणाहा य अणाहा य न-गरगा(वि)वी (उ)ओ य नगरवसभा य न-गरव (लि)लीवदा य न-गरपड्डया-ओ य पउरतणपाणिया निव्भया निस्वसग्गा सुहंसुहेणं परिवसंति, तत्थ णं हत्थिणाउरे नयरे भीमे नामं कूडग्गा(ही)हे होत्या अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे। तस्स गं भीमस्स कूडग्गाहस्स उप्पला-नामं भारिया होत्या अहीण०, तए णं सा उप्पला कूडग्गाहिणी अ-नया कया(ई)इ आव-न्नसत्ता जाया यावि होत्था, तए णं तीसे उप्पलाए कूड[]गाहिणीए ति(ह)हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउन्भूए-धन्ना-ओ णं ताओ अम्मयाओ ४ जाव सुलद्धे जम्मजीवि(ए)यफळे जाओ णं वहणं न-गरगो(स)हवाणं सणाहाण य जाव वसभाण य ऊहेहि य थणेहि य वसणेहि य छे(छ-छि)प्पाहि य ककुहेहि य वहेहि य कण्णेहि य अ(च्छि)च्छीहि य नासाहि य जिव्भाहि य ओ(उ)टेहि य कंवलेहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भजिएहि य परिसुवेहि य लावणेहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाइं च सी(y)हुं च पस-नं च आसाएमाणीओ विसाएमाणीओ परिभाएमाणीओ परिभु(ज)जेमाणीओ दोहलं वि(णयं)णेति, तं जइ णं अहमवि वहणं न-गर जाव विणिज्जामित्तिकट्ठ तंसि दोहलंसि अविणिजमाणंसि सुक्का भुक्खा निम्मंसा ओलुग्गा ओ-लुग्गसरीरा नित्तेया दीणविमणवयणा पंडुल्लइयमु(ही)हा ओमंथियनयणवयणकमला जहोइयं पुप्फवत्थगंघमल्लालंकाराहारं अपरिभुञ्जमाणी करयलमलिय-व्व कमलमाला ओहय जाव झिया(य)इ। इमं च णं भीमे कूडग्गाहे जेणेव उप्पला कूडग्गा(ह)हिणी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता ओहय जाव पासइ २ [त्ता] एवं वयासी-कि णं तु(मे)मं देवाणुप्पि-ए ! ओहय जाव झियासि ?, तए णं सा उप्पला भारिया भी(म)मं कूडग्गाहं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! ममं तिण्हं मासाणं वहुपडिपुण्णाणं दोह(ले)ला पाउन्भ(ए)या-ध-ना णं ता० जा-ओ णं वहूर्ण गो० ऊ(ह०)हेहि य जाक

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