Book Title: Suttagame 01
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti
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"१२४८
सुत्तागमे
[विवागसुवं
किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोससागरोवम(ठि-)टिइएसु जाव उववजिहिइ, से णं तओ अणंतरं उव्वटित्ता स(सि)री(सि)सवेसु उववजिहिइ, तत्थ णं कालं किया दोचाए पुढवीए उक्कोसेणं तिण्णि सागरोवमाई....,से णं तओ अणंतरं उव्वहित्ता पक्खीसु उववजिहिइ, तत्थ-वि कालं किच्चा तच्चाए पुढवीए सत्त सागरोवमाइं..., से णं तओ सीहेसु य...., तयाणंतरं (च णं) चो(चउ)त्थीए (पु०) उरगो पंचमी० इत्थी० छट्ठी० मणु(आ-ओ)या० अहे-सत्त(मा)मीए, त(तोs)ओ अणंतरं उव्वटित्ता से जाइं इमाई जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मच्छकच्छ (भ)वगाहमगर(सु)सुंसुमारा(दी)ईणं अ(द्ध)डतेरस जाइकुलको(डी)डिजोणिपमुहसयसहस्साई....तत्थ णं एगमेगंसि जो(णी)णिविहाणंसि अणेगसयसहस्सखुत्तो उदाइत्ता २ तत्(थेव)थ भुजो २ पञ्चायाइस्सइ, से णं तओ उव्वट्टित्ता....एवं चउ()पएसु उरपरिसप्पेसु भुयपरिसप्पेसु खयरेसु चउरिदिएसु तेइंदिएसु बेइंदिएसु वणप्फइएसु कडुयरुक्खेसु कडुयदुद्धिएसु वा(ऊ)उ० ते उ. आ-उ० पुढ(वि)वी. अणेगसयसहस्सखुत्तो...., से णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता सुपइट्टपुरे नयरे गोणत्ताए पञ्चायाहिइ, से णं तत्थ उम्मुक जाव अ-नया कया-इ पढमपाउसं(मि)सि गंगाए महा-नईए खली(य)णमट्टियं खणमाणे तडीए पेल्लिए समाणे कालगए तत्थेव सुपइ(8)द्वपुरे नयरे सेडिकुलंसि पु(त्त)मत्ताए पञ्चायाइस्सइ, से गं तत्थ उम्मुकवालभावे जाव जोव्वणगमणु[]पत्ते तहालवाणं -थेराणं अंतिए धम्मं सोचा निसम्म मुंडे भवित्ता अ(आ)गाराओ अणगारियं पव्वइस्सइ, -से णं तत्थ अणगारे भविस्सइ ई(इ)रियासमिए जाव वंभयारी, से णं तत्थ बहूई बासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता आलोइयपडिकते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्(म)मे कप्पे देवत्ताए उववजिहिइ, से णं तओ अणंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे जाइं कुलाई भवंति अड्डाई....जहा दडपइ-न्ने सा चेव वत्तव्वया -कलाओ जाव सिज्झिहिइ [५] । एवं खलु जंवू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे प-न्नत्तेत्तिबेमि ॥ ६ ॥ पढमं अज्झयणं समत्तं ॥ __ जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं दुह विवागाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते दोच्चस्स णं भंते ! अज्झयणस्स दुहविवागाणं समणेणं जाव संपत्तणं के अढे प-नत्ते ?, तए णं से सुहम्मे अणगारे जं-वू अणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नाम नयरे होत्था रि(द्धि)द्धस्थिमियसमिद्धे । तस्स णं वाणियगामस्स (नग०) उत्तरपुर-त्यिमे दिसीभाए दूईपलासे नामं उजाणे होत्या, तत्थ णं वाणियगामे मित्त नाम राया होत्था वण्णओ, तस्स णं मित्तस्स रन्नो

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