Book Title: Suttagame 01
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti

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Page 1314
________________ 1262 सुत्तागमे [विवागसुर्य अ-न्ने य से वहवे पुरिसा अयाण य जाव गिर्हसि निरुद्धा चिट्ठति, अ-न्ने य से वहवे पुरिसा दि-नभइभत्तवेयणा वहवे सय(अ)ए य (जाव) सहस्(महि)से य जीवियाओ ववरो-वेंति [2] मंसाइं क(प्पि-णी)प्पणिकप्पियाइं करेंति [2] छ(णी)णियस्स छागलि-यस्स उवणेति, अन्ने य से वहवे पुरिसा ताई व(ह)हुयाइं अयमंसाइं जाव महिसमंसाइं तवएसु य कवल्लीसु य कं(दू)दुएसु य भजणेमु य इंगालेसु य त(ल)लेति य भजेति य सो(ल्योल्लेति य . तओ रायमगंति वित्तिं कप्पेमाणा विहरति, अप्पणा-वि-य णं से छ(निय-)णिए छाग(ली)लिए तेहिं बहुवि० मंसेहिं जाव महिसमंसेहिं सोल्लेहि य त(ले)लिएहि य भ(जे)जिएहि य मुरं च 6 आसाएमाणे विहरइ, तए णं से छ(न्नी)णिए (य) छगलि-ए एयकम्मे""सुबहुं पावकम्मं कलिकलुसं समजिणित्ता सत्त-वाससयाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा चोस्थीए पुढवीए उकोसेणं दससागरोवमठिइएतु नेरइयत्ताए उवव-ने // 20 // तए णं तस्स सुभद्द-सत्थवाहस्स भद्दा भारिया जा(व)यनिंदुया यावि होत्या, जाया जाया दारगा विणिहायमावजंति, तए णं से छ-णिए छाग(ले-)लिए चो-स्थीए पुढवीए अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव साहंजणीए नयरीए सुभद्दस्स सत्यवाहस्स भद्दाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उक्व-न्ने, तए णं सा भद्दा सत्यवाही अ-नया कया-इ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दारगं पयाया, तए णं तं दारगं अम्मापियरो जायमेत्तं चेव सगडस्स हे(ड)ट्ठाओ] ठावेंति (0) दोच्चं-पि गिण्हावेंति (0) अणुपुत्वेणं सारक(ख)खेति संगोवेति संववेति जहा उज्झियए जाव जम्हा णं अम्हं इमे दारए जायमेत्ते चेव सगडस्स हेट्ठा ठाविए तम्हा ण हो-उ णं अम्हं एस दारए सगडे नामेणं, सेसं जहा उज्झियए, सुभद्दे लवणसमुद्दे कालगए माया-वि कालगया, से(s)वि सयाओ गिहाओ निच्छुढे, तए णं से सगडे दारए सया-ओ गिहाओ निच्छूढे समाणे सिं(सं)घाडग""तहेव जाव सु-दरिसणाए गणियाए सद्धिं संपलग्गे यावि होत्या, तए णं से सुसेणे अमचे तं सगडं दारगं अ-नया कया-इ सुदरिसणाए गणियाए गिहाओ निच्छुभावेइ[२] सु-दरिस(णं)णियं गणियं अभितरियं ठा-वेइ 2 त्ता सुदरिसणाए गणियाए सद्धि उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ, तए णं से सगडे दारए सुदरिसणा(ओ)ए गिहाओ निच्छूढे समाणे अ-नत्य कत्थ(इ)वि सुई वा "अलभ० अ-नया कया-इ रह(स्सि)सियं सुदरिसणा-गेहं(सि) अणुप्पविसइ 2 त्ता सुदरि(सि)सणाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ, इमं च णं सुसेणे अमचे पहाए सव्वालंकारविभूसिए मणुस्सवरगुराए जेणेव सुदरिसणा[ए] गणियाए गेहे तेणेव उवागच्छइ 2 [त्ता] सगडं दारयं सु-दरिसणाए

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