Book Title: Suttagame 01
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti
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१२१६.
८०३].
सुत्तागमे वसट्टा बहुमोहमोहिया परवणमि लुद्धा फासिदियविसयतिव्वगिद्धा इत्थिगयरूवसद्द. रसगंधइट्ठरतिमहितभोगतण्हाइया य धणतोसगा गहिया य जे नरगणा पुणरवि ते कम्मदुब्वियद्धा उवणीया रायकिंकराण तेसिं वहसत्थगपाढयाणं विलउलीकारकाणं लंचसयगेण्हगाणं कूडकवडमायानियडिआयरणपणिहिवंचणविसारयाणं बहुविहअलियसतजंपकाणं परलोकपरम्मुहाणं निरयगतिगामियाणं तेहि य आणत्तजीयदंडा तुरि(य)यं उग्घाडिया पुरवरे सिंघाडगतियचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु वेत्तदंडलउडकट्ठलेहुपत्थरपणालिपणोलिमुट्ठिलयापादपण्हिजाणुकोप्परपहारसंभग्गमहियगत्ता अट्ठारसकम्मकारणा जाइयंगमंगा कलुणा सुक्कोट्टकंठगलकतालुजीहा जायंता पाणीय विगयजीवियासा तण्हादिता वरागा तंपिय ण लभंति वज्झपुरिसेहिं धाडियंता तत्थ य खरफरुसपडहघट्टितकूडग्गहगाडरुहनिसठ्ठपरामुट्ठा वज्झकरकुडिजुयनियत्या सुरत्तकणवीरगहियविमुकुलकंठेगुणवज्झदूतआविद्धमल्लदामा मरणभयुप्पण्णसेदआयतणे. हुत्तुपियकिलिन्नगत्ता चुण्णगुंडियसरीररयरेणुभरियकेसा कुसुभगोक्किनमुद्धया छिन्नजीवियासा घुनंता वज्झया]पाण[भीता]पीया तिलं तिलं चेव छिज्जमाणा सरीरविकिन्तलोहिओलि[त्ता]त्तकागणिमंसाणि खावियंता पावा खर[फरु] करसएहिं तालिजमाणदेहा वातिकनरनारिसंपरिवुडा पेच्छिजंता य नागरजण वज्झनेवत्थिया पणेजति नयरमज्झेण किवणकलुणा अत्ताणा असरणा अणाहा अवंधवा वंधुविप्पहीणा विपिक्खिता दिसोदिसि मरणभयुग्विग्गा आघायणपडिदुवारसंपाविया अधन्ना सूलग्गविलग्गभिन्न देहा, ते य तत्थ कीरंति परिकप्पियंगमंगा उल्लंविजंति रुक्खसालासु केन्इ कलुणाई विलवमाणा अवरे चउरंगधणियवद्धा पव्वयकडगा पमुच्चंते दूरपातबहुविसमपत्थरसहा अन्ने य गयचलणमलणयनिम्मदिया कीरति पावकारी अट्ठारसखंडिया य कीरति मुंडपरसूहि के-इ उक्कत्तकन्नोडनासा उप्पाडियनयणदसणवसणा जि[भिदियं मंछिया]य छिन्नकन्नसिरा पणिज्जते छिज्जन्ते य असिणा निविसया छिन्नहत्थपाया पमुच्चंते जावज्जीवबंधणा य कीरंति केइ परदव्वहरणलुद्धा कारग्गलनियलजुयलरुद्धा चारगा[व]ए हतसारा सयणविप्पमुक्का मित्तजणनि रिक्सि]र(नि)क्या निरासा बहुजणधिकारसहलनायिता (अलज्जाविया) अलज्जा अणुवद्धखुहापारदसीउण्हतण्हवेयणदुग्धट्टघट्टिया विवन्नमुहविच्छविया विहलमतिलदुबला किलंता कासंता वाहिया य आमाभिभूयगत्ता परूढनहकेसमंसुरोमा छगमुत्तमि णियगंमि खुत्ता तत्थेव मया अकामका वंधिऊण पादे कहिया खाइयाए छूडा तत्य य व(ब)गमुणगसियालकोलमजारवंदसंबंसगतुंडपक्खिगणविविहमुहलय[ल] विलुतगत्ता कयविहंगा केइ किमिणो य कुहियदेहा अणिढवयणेहि सप्पमाणा नहु कयं

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