Book Title: Suttagame 01
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti

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Page 1269
________________ ०४] १२ सुत्तागमे अतुलसद्दफरिसरसरूवगंधे य अणुभवेत्ता तेवि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं । भुज्जो [भुजो] वलदेववासुदेवा य पवरपुरिसा महावलपरक्कमा महाधणुवियट्टका महासत्तसागरा दुद्धरा धणुद्धरा नरवसभा रामकेसवा भायरो सपरिसा वसुदेवसमुद्दविजयमादियदसाराणं पजुन्नपतिवसंवअनिरुद्धनिसहउम्मुयसारणगयसुमुहदुम्मुहादीण जायवाणं अद्भुटाणवि कुमारकोडीणं हिययदयिया देवीए रोहिणीए देवीए देवकीए य आणंदहिययभावनंदणकरा सोलसरायवरसहस्साणुजातमग्गा सोलसदेवीसहस्सवरणयणहिययद[यि]इया णाणामणिकणगरयणमोत्तियपालधणधनसंचयरिद्धिसमिद्धकोसा हयगयरहसहस्ससामी गामागर-णगरखेडकब्बडमडंवदोणमुहपट्टणासमसं(वा)वाहसहस्सथिमियणिव्वुय-प-मुदितजणविविह[सस्]सासनिष्फ जमाणमेइणिसरसरियतलागसेलकाणणआरामुजाणमणाभिरामपरिमंडियस्स दाहिणहवेयद्दगिरिविभत्तस्स लवणजलहिपरिगयस्स छव्विहकालगुणकामजुत्तस्स अद्धभरहस्स सामिका धीरकित्तिपुरिसा ओहवला अइबला अनिहया अपराजियसत्तुमद्दणरिपुसहस्समाणमहणा साणुकोसा अमच्छरी अचवला अचंडा मितमंजुलपलावाहसियगंभीर-महुर(परिपुण्णसच्चवयणा)भणिया अब्भुवगयवच्छला सरण्णा लक्खणवंजणगुणोववेया माणुम्माणपमाणपडिपुन्नसुजायसव्वंगसुंदरंगा ससिसोमागारकंतपियदसणा अमरिसणा पयंडडंडप्पयारगंभीरदरिसणिजा तालद्धउन्विद्धगरुलकेऊ बलवगगजंतदरितदप्पितमुट्ठियचाणूर(चू )मूरगा रिहवसभघातिणो केसरिमुहविप्फाडगा दरितनागदप्पमहणा जमलज्जुणभंजगा महासउणिपूतणारि[ऊ]वू कंसमउडमोडगा जरासिंधमाणमहणा तेहि य (अब्भपडलपिंगलुज्जलेहि) अविरलसमसहियचंडमंडलसमप्प(हे)भेहिं (मंगलसयभत्तिच्छेयचित्तियखिखिणिमणिहेमजालविरइयपपरेगयपेरंतकणयघंटियपयलियखिणिखिणितसुमहुरसुइसुहसद्दालसोहिएहिं सपयरगमुक्तदामलंवंतभूसणेहिं नरिंदवामप्पमाणरुंदपरिमंडलेहिं सीयायववायवरिसविसदोसणासएहिं तमरयमलबहुलपडलधाडणपहाकरेहिं मुद्धसुहसिवच्छायसमणुवद्धेहिं वेरुलियदंडसजिएहिं वयरामयवत्यिणिउणजोइयअडसहस्सवरकंचणसलागनिम्मिएहिं सुविमलरययसुटुच्छइएहिं णिउणोवियमिसिमिसिंतमणिरयणसूरमंडलवितिमिरकरनिग्गय'पडिहयपुणरविपच्चोवयंतचंचल-सूर-(म)मिरी (इ)यकवयं विणिम्मुयंतेहिं सपतिदंडेहि आयवत्तेहिं धरिजंतेहिं विरायंता ताहि य पवरगिरिकुहरविहरणसमुट्ठियाहिं निरुवहयचमरपच्छिमसरीरसंजाताहिं अमइलसियकमलविमुकुलुजलितरयतगिरिसिहरविमलससिकिरणसरिसकलहोयनिम्मलाहिं पवणाहयचवलचलियसललियपणच्चियवीइपसरियखीरोदगपवरसागरुप्पूरचंचलाहिं माणसंसरपसरपरिचियावासविसदवेसाहिं कण ७७ सुत्ता

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