Book Title: Suttagame 01
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti

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Page 1257
________________ अ०.२] सुत्तागमे १२०५ तेइंदियाणं तहिं २ चेवं जम्मणमरणाणि अणुहवंता कालं संखेज्जकं भमंति नेरइय-समागतिव्वदुक्खा परिसरसणघाण संपत्ता (तेहेव बेइं (वें) दि(ये) एस) मंडलयजलूयकिमियचंदणगमादिएसु य जा (ती) तिकुलकोडिसयसहस्सेहिं सत्तहिं अणूणएहिं वेइंदियाण तहिं २ चैव जम्मणमरणाणि अणुहवंता कालं संखिज्जकं भमंति नेरइयसमाणतिव्वदुक्खा परिसरसणसं पत्ता पत्ता एगिंदियत्तणंपि-य पुढविजलजलणमाख्यवणप्फति · सुहुमवायरं च पंजत्तमपजत्तं पत्तेयसरीरणाम-साहारणं च पत्तेयसरीरजीविएन य तत्थवि कालमसंखेज्जगं भमंति अनंतकालं च अणतकाए फासिंदियभावसंपउत्ता दुक्खसमुदयं इमं अणि पाविंति पुणो २ तहिं २ चेव परभवतरुगणग (ह) णे कोद्दालकुलियदालणसलिलमलणखंभणरंभणअणला णिलविविहसत्थघट्टणपरोप्पराभिहणणमारणाविराहणाणि य अकामकाई परप्पओगोदीरणाहि य कज्जपओयणेहि य पेस्स'पसुनिमि[त्तं]त्तओसहाहारमाइएहिं उक्खणणउकत्थणपयणकोट्टणपी सणपिट्टणभजण गालणआमोडणसडणफुडणभजणछेयणंतच्छणविलुंचणपत्तज्झोडणअग्गिदहणाइया(ति) ति एवं ते भवपरंपरादुक्खसमणुबद्धा अडति संसारवीहणकरे जीवा पाणाइवायनिरया अनंतकालं जेविय इह माणुसत्तणं आगया क ( हिं वि) हंचि नरगा उव्वट्टिया अधन्ना तेविय दीसंति पायसो- विकयविगलरूवा खुज्जा वडभा य वामणा हिरा काणा कुंटा पंगुला विउला य (अविय जल ) मू (या) का य मंगणा य अं (धिल)धयगा एगचक्खू विणिहयस ( पिस-वे ) चिल्ल्या वाहिरोगपीलियअप्पा उयसत्यवज्झबाला कुलक्खणुक्किन्नदेहा दुब्बलकुसंघयण कुप्पमाणकुसंठिया कुरूवा किविणा य ही हीणसत्ता निच्च- सोक्ख परिवज्जिया अमुहदुक्खभा[ग]गी णरगाओ [उव्वट्टिया] इह सावसेसकम्मा, एवं णरगं तिरिक्खजोणि कुमाणुसतं च हिंडमाणा पार्वति अताई दुक्खाईं पावकारी एसो सो पाणवहस्स फलविवागो इहलोइओ पा (प) - रलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महभयो वहुरयप्पगाढो दारुणो ककसो असाओ चाससहस्सेहिं मुच्चती, न य अवेदयित्ता अस्थि हु मोक्खोत्ति एवमाहंनु, नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो क( हइ सीह ) हेसी य पाणवह (ण) स्स फलविवागं, एसो सो पाणवहो चंडो रुहो खुद्दो अणारिओ निग्धिणो निसंसो नहभओ वीहणओ तासणओ अणज्जो उव्वेयणओ य णिरवयक्सो निम्तो निष्पिवासो निक्कलुणो निरयवासगमणनिधणो मोहमहन्भयपवद्रुओ मरणवेमणस्यो पढमं अहम्मदारं समत्तंतिबेमि ॥ ४ ॥ जंबू ! वितियं च अलियवयणं लहुमगलतुचवलभणियं भयंकरं दुहकरं अयसकरं वेरकरगं अरतिरतिरागदोसमणसंकिलेसविय- रणं अलियनियडिसातिजोयबहुलं नीयजणनिसेवियं निस्संस अप्पययकारकं परम

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