Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain
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स्तोत्र-रास-संहिता
ते भव-भय-मूरण !जग-सरणा ! मम सरणं ॥१३|| (चित्तलेहा) देव-दाणविंद-चंद सूर-वंद ! हट्टतुट्ठ ! जिट्ट ! परम, लठ्ठ-रूवधंत-रुप्प-पठ्ठ-सेय-सुद्ध-णिद्ध-धवल-दंत-पंति ! संति ! सत्तिकित्ति-मुत्ति-जुत्ति-गुत्ति-पवर, दित्त-तेअ-वंद-धेअ ! सव्वलोअ माविअ-प्पभाव! णेअ ! पइस मे समाहिं ॥१४|| (णारायओ) विमल-ससि-कलाइरेअ-सोमं, वितिमिर-सूर-कलाइरेअते। तिअसवइ गणाइरेअ-रूवं, धरणिधर-प्पवराइरेअ-सारं ॥१५॥ (कुसुमलया ) सत्ते अ सया अजियं, सारीरेअ बले अजिअं । तव संजमे य अजिअं, एस थुणामि जिणमजिअं 1/१६|| (भूअगपरिरिंगिअं) सोम्मगुणेहिं पावइ ण तं णवसरय ससी, तेअ गुणेहिं पावइ ण तं णव-सरय-रवी । रूवगुणेहिं पावइ ण तं तिअसगणवई, सार-गुणेहिं पावइ ण तं धरणिधरवई ||१७|| (खिज्जिअयं) तित्थवर-पवत्तयं तमरय-रहिअं,धीर-जण-थुअच्चिअं-चुअकलि-कलुसं । संति-सुहप्पवत्तयं तिगरण-पयओ, संतिमहं महामुणि सरणमुवणमे |१८|| (ललिअयं) विणओणय सिरि-रइअंजलि-रिसिंगणसंथुअंथिमिअं-विबु-हाहिव-धणवइ-णरवइ थुअ-महि, अच्चियं बहुसो। अइरुग्गय सरय-दिवायर-समहिअ-सप्पमं तवसा, गयणंगण विअरण समुइय-चारण-वंदिअं सिरसा ॥१९॥ (किसलयमाला) असुर-गरुल-परिवंदिअं, किण्णरोंरंगणमंसि। देव कोडि-सय-संथुअं,-समणसंघ परिवंदि॥२०॥ (सुमुह) अभयं अणहं, अरयं अरु। अजिअंअजिअं पयओ
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