Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain
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श्री ऋषभदेव स्तोत्र
हंसगति पंचम-गतिवासं, वासव-विहिताशंसं रे-आदि० ॥४|| शंसन्तं नयवचनमनवम नव-मंगल-दातारंरे। तारस्वरमघघनपवमानं, मान - सुमट - जेतारं रे -आदि० ॥५| इत्थं स्तुतः प्रथमतीर्थपतिः प्रमोदात्, श्रीमद्-यशोविजयवाचकपूंगवेन । श्री पुण्डरीक-गिरिराज-विराजमानो, मानोन्मुखानि वितनोतु सतां सुखानि ||६||
. श्री पार्श्वनाथ-स्तोत्र ॐ नमः पार्श्वनाथाय, विश्व-चिन्तामणीयते। ह्रीं धरणेन्द्र-रोट्या-पद्मादेवी-युतायते ॥१॥ शांति-तुष्टिमहापुष्टि-धृतिकीर्तिविधायिने! ॐ हीं द्विड्-व्याल वेतालसर्वाधिव्याधिनाशिने ॥२॥ जया जिताख्या विजयाख्याऽपराजितयान्वितः । दिशां पालैग्रहैर्यक्ष र विद्यादेवीभिरन्वितः ॥३॥ ॐ असिआउसाय नमस-तत्र त्रैलोक्यनाथताम् । चतुःषष्टि-सुरेन्द्रास्ते, भासन्ते छत्र-चामरैः ॥४॥ श्री शंखेश्वरमण्डनपार्वजिन ! प्रणतकल्पतरुकल्प चूरय दुष्टवातं, पूरय मे वाञ्छितं नाथ ! III
सर्वजिन-स्तोत्र जयति जंगम-कल्पमहीरहो, जयति दुःखमहार्णवतारकः जयति विश्वसनातनदीपको, जयति भूतल-शीतरुचिर्जिनः
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