Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain

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Page 121
________________ ११० . स्तोत्र-रास-संहिता चढि बीजो उतरे ||२५|| बारै कोस आव्या जेतले, प्रतिमा नवि चाले तेतले । गोठी मन विमासण थई, पास भुवन मंडावं सही ॥२६।। आ अटवी किम करू प्रयाण । कटको कोई न दीसै पहाण । देवल पास जिनेसर तणो, मंडावं किम गरथें विणो ॥२७॥ जल विन श्रीसंघ रहस्यै किहां सिलावटो किम आवे इहां । चिन्तातुर थयो निद्रा लहै, यक्षराज आवीने कहै ॥२८॥ गुहली ऊपर नाणो जिहां, गरथ घणो जाणीजे तिहां ।' स्वस्तिक सोपारी ने ठाणि, पाहण तणी उल्लटम्यै खाणि ॥२९|श्रीफल सजल तिहां किल जूओ, अमृत · जलनीरसी कूओ । खारा कुवा तणो इह सैनाण, भूमि पड्यो छै नीलो छाण ||३०|| सिलावटो सीरोही वसै कोड परामवियो किसमिसे । तिहां थकी तुं इहां आणजे, सत्य वचन माहरो मानजे ॥३१॥ गोठीनो मन थिर थापियो, सिलावटने सुहणो दियो ! रोग गमीने पूरू आस, पास तणो मंडे आवास ॥३२॥ सुपन माहे मान्यो ते वेण, हेम वरण देखाड्यो नैंण । गोठी मनह मनोरथ हुआ, सिलावटने गया तेडवा ॥३३|| सिलावटो आवै सूरमो, जिमें खीर खाँड घृत चूरमो । घडै घाट करें कोरणी, लगन मलै पाया रोपणी ॥३४|| थम-थंभ कींधी पुतली, नाटक कौतुक करती रली । रङ्गमंडप रलियामणौ रसै, जोतां मानवनो मन बसै॥३५।। नीपायो पूरो प्रासाद,

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