Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain
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शत्रुजय तीर्थ का रास
१२३
काररे । रायणरूंख समोसर्या स्वामी पूरबनिनाणूं वार रे । से० ॥३॥मरतपुत्र चैत्री पूनमदिन । इण सेजेजगिरि आयरे । पांचकोडीसुं पुंडरीक सीधा तिण पुंडरीक कहायरे । से० ।४। नमि विनमि राजा विद्याधर बेबेकोडी संघातरे । फागुण सुदि दसमी दिन सीधा, तिण प्रणमं परमातरे । से० ||५|| चैत्रमास वदि चउदसने दिन, नमी पुत्री चौसठरे । अणसणकरि सेव॒गिरि ऊपर, ए सहुसीधा एकट्ठरे । से० |६|| पोतरा प्रथम तीर्थंकर केरा, द्रविडने वारिखिल्लरे । काती सुदि पूनम दिन सीधा, दस कोडीसुं मुनि शिल्लरे से० ॥७॥ पांचे पांडव इणगिरिसीधा, नवनारद ऋषिरायरे। साम्ब प्रद्य म्न गया इहां मुगते, आठे करम खपायरे । से० ॥णा नेमि विना तेवीस तीर्थंकर, समोसा गिरिशृंगरे। अजित शांति तीर्थंकर बेडं, रह्या चोमासे रंगरे। से० ॥९|| सहस साधु परिवार संघाते थावच्चासत साधरे। पांचसे साधुसु सेलगमुनिवर, सेव॒जे शिवसुख लाधरे। से० ||१०|| असंख्याता मुनि सेजे सीधा, भरतेसरने पाटरे। राम अने भरतादिक सीधा, मुक्तितणी ए वाटरे । से० ||११|| जालि मयालीने उवयाली, प्रमुख साधनी कोडोरे। साधुअनंता सेजेजे सीधा, प्रणम बेकर जोडीरे। से० ॥१२॥
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