Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain
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स्तोत्र-रास-संहिता
॥ ढाल-छट्ठी ॥
( कुंवर भले आवीयो एदेशी ) संप्रतिकाले सोलमोए, ए वरते छे उद्धार | सेत्रुजे यात्रा करूए, सफल करू अवतार । से० ।। छह रो पालतां चालियेए, सेजेजे केरी वाट । से०। पालीताणे पोहचियेए, संघ मिल्या बहुथाट । से० ।२। ललितसरोवर पेखीयेए, वलि सत्तानी वाव ।से०। तिहां विसरामौ लीजियेए, वडने चौतरे आय । से० ।३। पालीताणे पाजडीए, चढ़िये . ऊठी परमात । से० सेजनदीय सोहामणीए दूर थकी देखंत। से०।४। चढ़िये हिंगुलाज ने हडेए, कलिकुंड नमीये पास । से० । बारीमाहे पेसीयेए, आणी अंग उल्लास । से० ||५|| मरुदेवी ढूंक मनोहरु ए, गज चढ़ी मरुदेवीमाय । से० । शांतिनाथ जिन सोलमाए, प्रणमीजे तसु पाय । से०।६। वंस पोरवाडे परगडोए, सोमजी साह मल्हार । रूपजी संघवी करावियो ए, चौमुख मूल उद्धार । से० ७। चौमुख प्रतिमा चरचियेए, ममती मांहि भलाबिंब । पांचे पांडव पूजियेए, अद्भुत आदि प्रलंब । से०।९। खरतरवसही खांतिसु ए, बिंब जुहारु अनेक । नेमिनाथ चॅवरी नमुए, टालूं अलग उद्वेग ।से०।१०। धरमदुवार मांहे नीसरु ए, कुगति करू अति दूर। आवं आदिनाथ देहरेए, करम करूं चकचूर ।से० 1११। मूलनायक प्रणमुमुदाए, आदिनाथ भगवंत । देव जुहारु देहरेए । ममती मांहि ममंत । से० ।१२। सेवेंजे
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