Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain
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२४
स्तोत्र-रास-संहिता
यट्ठिअपासनाह ! नाहत्तण-कुणमह||८|बहुविहु वण्णु-अवण्णु सुण्णु वण्णिउ छप्पण्णिहि, मुक्खधम्म कामत्थकाम नर नियनिय-सत्थिहि । जं झायइ बहु दरिसणत्थ बहु नाम पसिद्धउ, सो जोइअ-मण-कमल-मसल-सुहुपास! पवद्धउ ।९। भय विन्मल रणझणिरदसण थरहरिअ सरीरय, तरलिअ नयण-विसण्णुसुण्णु-गग्गरगिर-करुणय । तइ सहसत्तिसरंति हुंति नरनासिअ गुरुदर, महविज्झवि सज्झसइ पास मयपंजर कुंजर ॥१०|| पइं पासि वियसंत-नित्त-पत्तंत-पवित्तिय, बाहपवाह-पवूढरूढ दुहदाह सुपुलइय। मण्णहि मण्णूसउण्णु पुण्णुअप्पाणं सुरनर, इअ तिहुअण-आणदचंद ! जय पास जिणेसर! ||११|| तुह कल्लाण-महेसु-घंट-टंकारवपिल्लिअ, वल्लिरमल्ल-महल्लमत्ति-सुरवर गंजुल्लिअ । हल्लुप्फलिअ पवत्तयंति भुवणे वि महूसव, इय तिहुअण आणंदचंद जय पास सुहुन्भव ||१२|| निम्मल-केवल-किरण-नियर-विहुरिअ तमपहयर, दंसिअ-सयल-पयत्थ-सत्थ-वित्थरिअ-पहामर । कलि-कलुसिअ-जण-घूअलोय-लोयणह-अगोयर, तिमिरइ निरुहर पासनाह ! भुवणत्तय-दिणयर ॥१३|| तुह समरणजलवरिससित्त माणव-मइमेइणि, अवरावरसुहुमत्थबोह कंदलदलरेहिणि । जायइ फलमरमरिय हरिय दुहदाह अणोवम, इयमइ मेइणि वारिवाह दिसि पास मई मम ||१४|| कय अविकल कल्लाण-वल्लि-उल्लूरिय-दुहवणु दाविअ सग्गपवग्गमग दुग्गइगम-वारणु । जय जंतुह-जण
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