Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain
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स्तोत्र-रास-संहिता
पउमावइ पयडिया कित्ती |९|| जस्स पयकमलमज्ञ, सया वसइ पउमावइ य धरणिंदो। तस्स नामइ सयलं, विसहरं विसं नासेइ ||१०|| तुह सम्मत्ते लढे, चिंतामणि कप्पपाय वब्महिये । पावंति अविग्घेणं, जीवा अयरामरं ठाणं ||११|| ॐ नट्टट्ठ भयठाणे, पणट्ट कम्मट्ठ नट्ठ संसारे। परमट्ठ निट्ठि अटे, अट्ठ गणाधीसरं वंदे ||१२|| ॐ गरुडो . विनता पुत्रो, नागलक्ष्मी महाबलः । तेण मुच्चंति मुसा, तेण मुच्चंति पन्नगाः ॥१३॥ स तुह नाम सुद्धमंतं, सम्म जो जवेइ सुद्धभावेण । सो अयरामरं ठाणं, पावइ न य दोग्गईं दुक्खं वा ||१४|| ॐ पंडु भगंदर दाहं, कासं सासं च सूलमाइणि । पास पहु पमावेण, नासंति सयल रोगाइं ह्रीं स्वाहा ||१५|| ॐ विसहर दावानल, साइणि वेयाल मारि आयंका। सिरि नीलकंठ पासस्स, सुमरण मित्तेण नासंति ॥१६!! पन्नासं गोपीडां कूरगह, तुह दंसणं मयंकाये। आवि न हुंति ए तह वि, तिसंझं जं गुणिज्जासो ||१७|| पौंड जतं भगंदर खास, सास सूल तह निव्वाह । सिरि सामल पास महंतं, नाम पउरपउलेण ||१८|| ॐ ह्रीं श्रीं धरण संजुतं, विसहर विज्जं जवेइ सुद्ध मणेणं। पावइ इच्छियं सुह, ॐ ह्रीं श्रीं म्यूँ स्वाहा 1१९॥ ॐ रोग-जल-जलण-विसहरण, चौरारि मईद गय रण भयाइं । पास-जिण-नाम-संकित्तणेण, पसमंति सव्वाई ह्रीं स्वाहा ||२०|| ॐ जयउधरणिंद नमंसिय, पउमावइ
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