Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain

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Page 38
________________ जयतिहुअण-स्तोत्र अवगिण्णसि तुंहजिअहहकिहोसु हयासउ ॥२८॥ जइ तुहरूविणकिणविपेअ पाइणवेलवियउ, तुविजाणउजिणपासतुम्ह हउंअंगीकरिअयउ। इयमहइच्छिउ जं न होइ सातुहओहावणु, रक्खंतह निकित्तिणे य जुज्जइअवहीरणु ॥२९|| एहमहारिहजत्तदेवइहुन्हवणमहूसउ,. जं अणलिय गुणगहण तुम्ह मुणिजणअणिसिद्धउ । एम पसीहसु पासनाहथंभणयपुरट्ठिअ, इय मुणिवरुसिरि अमयदेउ विण्णवइ अणिदिअ ॥३०॥ नवग्रह स्तुतिगर्मित दोसावहार-स्तोत्र ... दोसावहारदक्खो, नालियायार, वियासि गोपसरो। रयणतयस्स जणओ, पासजिणो जयउ चयचक्खू ||१|| कयकुवलय पडिबोहो, हरिणंकिय विग्गहो कलानिलओ। विहियारविंदमहणो, दियराओ जयउ पासजिणो ॥२॥ कंतीइ निजिणंतो, सिंदूरं पुहविणंदणो कूरो। जयजंतु अमयवक्को, सुमंगलो जयउ पहुपासो ||३|| उप्पलदल नीलरूई, हरिमंडल संथुओ इलाणंदो। रयणीयर दारओ मह, बुहो पसीय ( ए ) ज पासजिणो ||४|| नाहियवायदियड्ढो नायत्थो णायराय-कयपूओ। सिरिपासनाहदेवो,

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