Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain
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स्तोत्र-रास-संहिता
चन्द्रप्रभ-स्तोत्र
चंदप्पह ! चंदप्पह !, पणमिय चरणारविंदजुयलं ते। मविय सवणामयपवं मणामि तुह चेव चरियलवं ॥१॥ धायइसंडे दीवे अहेसि तं मंगलावईविजए । मुणिरयण ! रयणसंचयपुरम्मि सिरिपउमनरनाहो ||२|| सुगुरुजुगंधरपासे निक्खमिउ चिणिय तित्थयरनामं । तुममुप्पन्नो पुन्ननिहि ! वेजयंते विमाणम्मि ||३|| तत्तो इह भरहद्धे चविउं चंदाणणाइ नयरीए। महसेनराय-पणयिणि-लक्खणदेवीइ कुच्छंसि |४|| चित्ताऽसियपंचमि निसि तं चउदससुमिणसूइओ नाह !। अवयरिओ तिन्नाणी सयलिंदनिवेइयवयारो ||| पोसाऽसियबारसि · निसि विच्छियरासिंमि सामि ! सोमंको। कासवगुत्ते जाओ तं सारयससहरच्छाओ ||६|| छप्पन्नदिसाकुमारी-चउसट्टिसुरिंदविहियसक्कारो। उज्जोइय-भुवणयलो तुह जम्ममहो य सक्कउहो ||७|| जणणी पइ गब्मगए अकासि जं चंदपाणदोहलयं । चंदप्पहु त्ति तं तुह विक्खायं तिहुयणे नामं |८|| सदृधणुसयपमाणो अढाइय पुव्वलक्खकुमरत्तं । सढे छपुव्वलक्खे चउवीसंगे य रजसिरिं ||९|| परिवालिय लोयंतिय-विवोहिओ वरिसकयमहादाणो। सिविया मणोरमाए सहसंबवणम्मि छट्टेणं|१०|| नरवइसहस्ससहिओ चरमवए चरणमेगदूसेण । पोसस्स बहुलतेरसि अवरण्हे
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