Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain
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चन्द्रप्रभ-स्तोत्र
३१
ते पवज्जेसि ||११|| तक्खणमणनाणजुओ अकासि तं पउमसंडनयरम्मि । वयबीयदिणे परमन्न-पारणं सोमदत्तघरे ॥१२॥ वोसठ्ठचत्ततणुणो नानादेसेसु विहरमाणस्स भयवं ते मासतिगं अहेसि छउमत्थपरियाओ ||१३|| सहसंबवणे पडिमाठियस्स छट्टेण नागतरुहिढे । तुह फग्गुणाइसत्तमि पुवण्हे केवलं जायं ॥१४|| अहसदृदुल्लक्खमुणी वीससहस्सूण-लक्खचउ समणी । तिनवइ गणा गणहरा अढाइयलक्खवरसट्टा ॥१५|| इगणवइसहस्सअहिया लक्खा चउरो गुणसढीणं । इय गुणरयणमहाघो जाओ तुह चउव्विहो संघो ॥१६|| दो-दस-चउदससहसा चउदसपुव्वधर-केवलि-विउव्वी। अट्ठसहस्सा पत्तेय-मोहि-मणपज्जवंनाणी ||१७||. वाईणसत्तसहसा छसयग्गा एस तुब्म परिवारो। तह तुच्छे दुच्छयरा विजओ जक्खो सुरा मिउडी ||१८|| अणुराहरिक्ख चउकयकल्लाण गएसु चउजमं धम्मं । चउवीसंगूण मय पज्जाउपुव्वलक्ख ते ।१९। दसपुव्वलक्खसव्वाउ पालिउं मुणिसहस्ससहिओ तं । करिउ णवोपगमं मासियमत्तेण सम्मेए ||२०|| उदहीणं नवकोडी सएसु विगएसु जिणसुपासाओ । भद्दवयकसिणसत्तमि सिवं गओ सवणरिक्खम्मि ||२१|| इय तुह सुचरियलेसं थो ऊं पत्थेमि तुममिमं चेव । कुण गुणनिहि ! चंदप्पह ! जिणप्पमत्ताण परमपयं ॥२२||
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