Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain

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Page 22
________________ श्री पार्श्वजिनस्तुति गर्भित णमिउण-स्तोत्र विग्घा सिग्धं, पत्ता हिय-इच्छियं ठाणं ||११|| पज्जलिआ नल- नयणं, दूर विआरिय मुहं महा-कायं । नह-कुलिसघाय-विअलिअ, इंद-कुंभत्थलाभो अं ॥ १२ ॥ पणयससंभमपत्थिव-नह-र्माणमाणिक्क पडिअ-पडिमस्स । तुह-वयण -पहरणधारा, सीहं कुद्धपि न गणंति ॥ १३॥ ससि-धवलदंतमुसलं, दीह - करुल्लाल वुड्दिउच्छाहं । महु-पिंग नयण जुअलं, ससलिल नव-जलहरारावं ||१४|| भीमं महागइंदं, अच्चा-सन्नंपि ते नवि गणंति । जेतुम्ह चलण-जुअलं, मुणिवइ ! · तुंगं सम्मलीणा ||१५|| समरम्मि तिक्ख-खग्गा,भिग्घाय-पविद्धउद्धय कबंधे। कुंत विणिग्भिन्न करि-कलहमुक्कसिक्कार - पउ - रमि ||१६|| निज्जियदप्पुद्ध, ररिउ, नरिंद- निवहा भडा जसं धवलं । पावंति पाव पस-मिण ! पास -जिण ! तुहप्पभावेण ||१७|| रोगजलजलण-विसहर-चोरारि-मइंद-गयरण-भयाइं । पास- जिणनाम-संकित्तणेण पस-मंति सव्वाइं १८॥ एवं महाभयहरं, पास जिणि दस्स संथवमुआरं । भविय-जणाणं-दयरं, कल्लाण-परंपर-निहाणं ||१९|| राय भय-जक्ख-रक्खस,-कुसुमिण दुस्सउण- रिक्ख पीडासु । संझासु दोसु पंथे, उवसग्गे तह य रयणीसु ||२०|| जो पढइ जो अ निसुणइ, ताणं कइणो य माणतुंगस्स । पासो पावं पसमेउ, सयल भुवणचित्र चलणो ॥२१॥ उवसग्गते कमठासुरम्म झाणाओ जो न संचलिओ । सुरनरकिन्नरजुवइहिं संथुओ जयउ पास जिणो ॥२२॥ एअस्स मज्झयारे, - - ११

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