Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain
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१४
स्तोत्र-रास-संहिता
धरणिन्द-सक्क-सहिआ, दलन्तु दुरियाई तित्थस्स ||२०|| चक्कं जस्स जलंतं, गच्छइ पुरओ पणासिय-तमोहं । तं तित्थस्स भगवओ, नमो नमो वदमाणस्स ||२१|| सो जयउ जिणो वीरो, जस्सज्ज वि सासणं जए जयइ। सिद्धि-पहसासणं कुपह-नासणं सव्वभयमहणं ||२२|| सिरि-उसमसेणपमुहा, हय-भय-निवहा दिसंतु तित्थस्स । सव्वजिणाणं गणहारिणोऽणहं वंच्छिअं सव्वं ॥२३|| सिरि-वद्वमाणतित्थाहिवेण तित्थं समप्पियं जस्स । सम्मं सुहम्म-सामी, दिसउ सुहं सयलसंघस्स ||२४|| पयंइए मदिया जे, भद्दाणि दिसंतु-सयलसंघस्स । इयर-सुरा वि हु सम्म जिण-गणहरकहिय-कारिस्स ||२५|| इय जो पढइ तिसंझं, दुस्सज्झं तस्स नत्थि किंपि जए । जिणदत्ताणायट्टिओ, सुनिट्ठिअट्ठो सुही होई ॥२६॥
गुरुपारतंत्र्य-स्तोत्र
मय-रहियं गुण-गण-रयण, सायरं सायरं पणमिऊणं । सुगुरु-जण-पारतंतं, उवहिव्व थुणामि तं चैव ॥१|| निम्महिय-मोह-जोहा,.निहय-विरोहा पण?-संदेहा। पणयंगिवग्ग-दाविअ सुह-संदोहा सुगुण-गेहा ||२|| पत्त-सुजइत्तसोहा, समत्थ-पर-तित्थ जणिय-संखोहा। पडिभग्ग-मोहजोहा, दंसिय-सुम-हत्थ-सत्थोहा ||३|| परिहरिअ-सत्थ
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