Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain
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स्तोत्र-रास-संहिता
कव्व-रसो ||१५|| भीम-भव-काणणम्मि, दंसिअ-गुरु वयण रयणसंदोहो। नीसेस-सत्तगुरुओ, सूरी जिणवल्लहो जयइ ||१६|| उवरिट्ठिअ-सच्चरणो, चउरणु-ओग-प्पहाणसच्चरणो । असम-मयराय महणो, उढ-मुहो सहइ जस्स करो ॥१७॥ दंसिअ-निम्मल-निच्चल, दन्त-गणोगणिअ-सावओत्थ-मओ। गुरु-गिरि-गुरुओ सरहुव्व, सूरी जिण-वल्लहो होत्था ॥१८॥ जुगपवरागमपीऊस-पाण-पीणिय-मणा कया भव्वा । जेण जिण-वल्लहेणं, गुरुणा तं सक्हा वंदे ॥१९|| विप्फुरियपवरपवयण,-सिरोमणी वूढदुव्वह-खमो य । जो सेसाणं सेसुव्व, सहइ सत्ताण ताण करो ||२|| सच्चरिआणमहीणं, सुगुरूणं पारतंतमुव्वहइ जयइ जिणदत्तसूरी, सिरि-निलओ पणय-मुणि-तिलओ ॥२१॥
सिग्घमवहरउ-स्तोत्र सिग्घमवहरउ विग्धं, जिण-वीराणाणु-गामिसंघस्स । सिरि-पास-जिणो थंमणपुर-ट्ठिओ निट्ठिआनिट्ठो ॥१॥ गोयम-सुहम्म-पमुहा, गणवइणो विहिअमव्व-सत्त-सुहा । सिरि-वद्धमाण-जिण-तित्थ-सुत्थयं ते कुणन्तु सया ॥२॥ सक्काइणो सुरा जे, जिण-वेयावच्चकारिणो संति । अवहरिय-विग्घ-संघा, हवन्तु ते संघसन्तिकरा ||३|| सिरिथंभणय-ट्टिय-पास-सामिपय - पउम पणय-पाणीणं ।
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