Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain
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स्तोत्र-रास-संहिता
श्री पार्वजिनस्तुति गर्मित णमिऊण-स्तोत्र
णमिऊण पणय-सुर-गण, चूडामणि-किरण-रंजिअं मुणिणो। चलण-जुअलं महामय, पणासणं संथवं वुच्छं ||१|| सडिय-कर-चरण-नह-मुह,-निवुड्ड-नासा विवन्न-. लावण्णा । कुट्ठमहा-रोगानल-फुलिंग-दिद्दड्व-सव्वंगा ||२|| ते तुह चलणा-राहण-सलिलंजलिसेअ-वुड्डिअच्छाया । वण-दव-दड्डा गिरि-पायवव्वपत्ता पुणो लच्छिं ॥३|| दुव्वायखुभिय-जलनिहि, उन्मड-कलोल-भीसणारावे संमंत-भयविसंठुल,-निज्जामय-मुक्क-वावारे ॥४|| अविदलियजाणवत्ता, खणेण पावंति इच्छिअं कूलं । पासजिण-चलणजुअलं, निच्च-चिअ जे नमति नरा ||५|| खरपवणुद्धय वण-दव, जालावलिमिलिय-सयलदुम-गहणे। डज्झंत-मुद्धमियवहु, -भोसण-रव-भीसणम्मि वणे ॥६|| जग-गुरुणो कम-जुअलं निव्वाविय-सयल-तिहुअणामोअं। जे संमरंति मणुआ, न कुणइ जलणो भयं तेसिं ||७|| विलसंत-भोग-भीसणफुरिआरुण-नयण-तरल-जीहालं । उग्गभुअंगं नवजलयसच्छहं मीस-णायारं ||८|| मन्नंति कीड-सरिसं, दूर-परिच्छूढ-विसम-विसवेगा ! तुह नामक्खर-फुडसिद्ध-मंत गुरुआ नरा लोए ||९|| अडवीसु मिल्ल-तक्कर-पुलिंदसद्द लसद्दमीमासु। मय-विहुर-वुन्नकायर-उल्लूरिअ-पहिअ-सत्थासु ।१०। अविलुत्तविहवसारा, तुह नाह ! पणाम-मत्त-वावारा । ववगय
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