Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain
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स्तोत्र-रास-संहिता
श्री अजित-शान्ति-स्तोत्र
अजिअं जिअ-सव्व-भयं, संतिं च पसंत-सव्व-गयपावं । जयगुरु संति गुणकरे, दोवि जिणवरे पणिवयामि ||१|| (गाहा) ववगय-मंगुल-भावे, ते हं विउल-तवणिम्मल-सहावे । णिरुवम-महप्प-भावे, थोसामि सुदिठ्ठसब्भावे ||२|| (गाहा ) सव्व-दुक्ख-प्पर तीणं, सव्व-पावप्पसंतीणं । सया अजिअ-संतीणं, णमो अजिअ-संतीणं ||३|| ( सिलोगो ) अजिअ जिण ! सुहप्पवत्तणं तव पुरिसुत्तम ! णाम-कित्तणं। तह य धिइ-मइ-प्पवत्तणं, तव य जिणुत्तम ! संति ! कित्तणं ॥४|| (मागहिआ) किरिआ-विहिसंचिअ-कम्म-किलेस-विमुक्खयर, अजिअं णिचिअं च गुणेहिं महामुणि-सिद्धिगयं । अजिअस्स य संति महामुणिणो वि अ संतिकरं, सययं मम णिव्वुइ-कारणयं च णमंसणयं ॥५|| (आलिंगणयं) पुरिसा !जइ दुक्ख-वारणं, जइ अ विमग्गह सुक्ख-कारणं । अजिअं संतिं च मावओ, अभयकरे सरणं पवज्जहा ||६|| ( मागहिआ ) अरइ-रइ-तिमिरविरहिअ-मुवरय जर-मरणं, सुर-असुर-गरुल-भुयगवइ पयय-पणिवइयं । अजिअमहमवि अ सुणय-णय-णिउणमभयकरं, सरणमुवसरिअ भुवि-दिविज-महिअं सययमुवणमे ||७|| ( संगययं) तं च जिणुत्तममुत्तम-णित्तम-सत्तधरं,
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