Book Title: Stotra Ras Samhita
Author(s): Lalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Siddhiraj Jain

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Page 17
________________ स्तोत्र-रास-संहिता भत्ति-सण्णिविठ्ठ-वंदणा-गयाहिं हुंति ते वंदिआ पुणो पुणो ॥२८॥ ( णारायओ ) तमहं जिणचंदं, अजिअं जिअमोहं । धुअ सव्व किलेसं, पयओ पणमामि ||२९|| ( णंदिअयं ) थुअवंदिप्रस्सा रिसि-गण-देव-गणेहिं, तो देव-वहूहिं पयओपणमिअस्सा, जस्स-जगुत्तम-सासणअस्सा, भत्ति-वसांगय- : पिंडिअआहिं। देव-वरच्छरसा-बहुआहिं, सुरवर-रइगुण पंडिअआहिं ||३०|| (मासुरयं ) वंस-सद्द-तंति-ताल. मेलिए, तिउक्खराभिराम सद्द-मीसए-कए अ, सुइ समा- . णणे अ सुद्ध-सज्ज-गीअ-पाय-जाल-घंटिआहिं, वलय . मेहला-कलाव-णेउराभिराम सद्द-मीसए-कए. अ, देव-पट्टि आहिं। हाव-भाव-विब्मम-प्पगारएहिं, णचिऊण अंग हारएहिं वंदिआ य जस्स ते सुविक्कमा कमा, तयं तिलोयसव्व-सत्त-संतिकारयं, पसंत-सव्व-पाव-दोसमेस हं णमामि संतिमुत्तमं जिणं ॥३१॥ (णारायओ) छत्तचामर-पडाग-जूअ-जव मंडिआ, झयवर-मगर-तुरग सिरिवच्छ-सुलंछणा। दीव-समुद्द-मंदर-दिसागय सोहिआ, सत्थिअ-वसह-सीह-रह-चक्क-वरंकिया |३२|| ( ललिअयं ) सहाव-लट्ठा समप्पइट्ठा अदोस-दुट्ठा । गुणेहिं जिट्ठा पसाय सिट्ठा तवेण पुट्ठा सिरीहिं इट्ठा रिसीहिं जुट्ठा ||३३|| ( वाणवासिआ ) ते तवेण धुअ-सव्व-पावया, सव्व लोअ-हिय-मूल-पावया । संथुआ अजिअ-संति-पायया, हुंतु मे सिव-सुहाण-दायया ॥३४|| ( अपरांतिका) एवं तव

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