Book Title: Sthanang Sutram Part 02
Author(s): Vijaychandrasguptasuri
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 345
________________ श्रीस्थानाङ्ग श्रीअभय० वृत्तियुतम् भाग-२ // 837 // दशममध्ययन दशस्थानम्, सूत्रम् 707-709 पुदलचलनकारणानि, क्रोधोत्पत्तिकारणानि, संयमा दसहिं ठाणेहिमच्छिन्ने पोग्गल्ले चलेजा, तं०-आहारिजमाणे वाचलेजा परिणामेजमाणे वा चलेजा उस्ससिज्जमाणे वाचलेज्जा निस्ससिज्जमाणे वाचलेजा वेदेजमाणे वाचलेजा णिज्जरिजमाणे वा चलेज्जा विउविजमाणे वाचलेजा परियारिन्जमाणे वाचलेजा जक्खातिट्टेवा चलेजा वातपरिग्गहे वा चलेजा।सूत्रम् 707 // दसहिं ठाणेहिं कोधुप्पत्ती सिया तं०- मणुन्नाई मेसद्दफरिसरसरूवगंधाइमवहरिंसु 1 अमणुन्नाईमेसद्दफरिसरसरूवगंधाई उवहरिंसु २मणुण्णाईमे सद्दफरिसरसरूवगंधाई अवहरइ 3 अमणुन्नाईमे सद्दफरिसजावगंधाइंउवहरति 4 मणुण्णाई मेसद्द जाव अवहरिस्सति 5 अमणुण्णाई मे सद्द जाव उवहरिस्सति 6 मणुण्णाइं मे सद्द जाव गंधाई अवहरिसुवा अवहरइ अवहरिस्सति 7 अमणुण्णाई मे सद्द जाव उवहरिसुवा उवहरति उवहरिस्सति 8 मणुण्णामणुण्णाईसद्द जाव अवहरिंसु अवहरति अवहरिस्सइ उवहरिंसु उवहरति उवहरिस्सति 9 अहं च णं आयरियउवज्झायाणं सम्मेवट्टामि ममंचणं आयरियउवज्झाया मिच्छं पडिवन्ना १०॥सूत्रम् 708 // ___ दसविधे संजमे पं० तं०- पुढविकातितसंजमे जाव वणस्सतिकायसंजमे बेइंदितसंजमे तेंदितसंजमे चउरिंदितसंजमे पंचिंदियसंजमे अजीवकायसंजमे / दसविधे असंजमे पं० तं०-पुढविकातितअसंजमे आउ० तेउ० वाउ० वणस्सति० जाव अजीवकायअसंजमे। दसविधे संवरे पं० तं०- सोतिदियसंवरेजाव फासिंदितसंवरे मण० वय० काय उवकरणसंवरे सूचीकुसग्गसंवरे / दसविधे असंवरे पं००-सोतिदितअसंवरे जावसूचीकुसग्गअसंवरे ।सूत्रम् 709 // दसही त्यादि स्पष्टम्, नवरं अच्छिन्ने त्ति अच्छिन्नोऽपृथग्भूतः शरीरे विवक्षितस्कन्धे वा सम्बद्धश्चलेत्- स्थानान्तरे गच्छेद् आहारेजमाणे त्ति आह्रियमाण:- खाद्यमानः पुद्गलः आहारे वा अभ्यवह्रियमाणे सति पुद्गलश्चलेत् परिणम्यमानः पुद्गल एवोदराग्निना खलरसभावेन परिणम्यमाने वा भोजने उच्छुस्यमानः- उच्छासवायुपुद्गलः उच्छृस्यमानेवा- उच्छ्रसिते क्रियमाणे ऽसयम सवरा

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