Book Title: Sramana 2003 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 56
________________ Jain Education International ५० : | पुष्प For Private & Personal Use Only sin x s wg voor a सारणी - १ : विभिन्न ग्रंथों में वनस्पतियों की कोटि और उदाहरण क्रमांक वनस्पति वाचक शब्द | भाव पाहुड़ (१०१) कोटि मूलाचार २१३* | मूलाचार २१४* | धवल पं० २७३ १. कंद* | सूरण, प्याज, लहसुन, अनंतकाय | कदली, पिंडालु सूरण, पद्मकंद अदरक, हल्दी आदि २. मूल (बीज)* मूली, गाजर, अदि अनंतकाय हल्दी, अदरक आदि | हल्दी, अदरक ३. बीज/बीज-बीज* गेहूं आदि धान्य | प्रत्येक/सचित्त गेहूं आदि धान्य पुष्प विभिन्न फूल प्रत्येक/अनंतकाय | - पान आदि का पत्ता | प्रत्येक/अनंतकाय | पत्र यत्किमपि |विशिष्ट ककड़ी आदि प्रत्येक नारियल, सुपाड़ी अग्रबीज प्रत्येक/अनंतकाय | कोरंटक/मल्लिकादि । मल्लिकादि पर्वबीज प्रत्येक/अनंतकाय गन्ना, बेंत आदि गन्न, बेंत आदि स्कंध* प्रत्येक/अनंतकाय | सल्लकी, पालिभद्रादि | पालिभद्रादि अनंतकाय स्नु ही, गिलोय आदि मल्लिका-करंजकादि | छाल/गुच्छ/गुल्म प्रत्येक सुपाड़ी आदि प्रत्येक फल आर्द्रक मूलक, श्रमण, वर्ष ५४, अंक १०-१२/अक्टूबर-दिसम्बर २००३ |फल स्नुगादि लतादि १३. वल्ली १४. तृणा प्रत्येक/अनंतकायः प्रत्येक/अनंतकायः प्रत्येक/अनंतकाय विभिन्न तृण www.jainelibrary.org [वृक्ष (२१७)

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