Book Title: Sramana 2003 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 153
________________ साहित्य सत्कार : १४७ गणिवर जैन ग्रन्थमाला ट्रस्ट, ५, विवेक डुप्लेक्ष, दशापोरवाड़ सोसायटी, पालडी, अहमदाबाद ३८०००७; आकार - डिमाई, पृष्ठ ८+२०८+विभिन्न रंगीन चित्र; मूल्य - पठन-पाठन अनेकवार्तानां रहस्यो, संपादक - मुनि भव्यदर्शनविजय गणि; प्रथम संस्करण २००३ ई०; भाषा एवं लिपि - गुजराती; प्रकाशक - पूर्वोक्त; आकार - डिमाई; पृष्ठ १०+१६६; मूल्य - पठन-पाठन। नरकतणां दुःख भारी, संपादक - मुनि भव्यदर्शनविजयगणि; प्रथम संस्करण २००३ ई०; भाषा एवं लिपि - गुजराती; प्रकाशक - पूर्वोक्त, आकार - डिमाई; पृष्ठ ८+२४; विभिन्न रंगीन एवं सादे चित्र; मूल्य - पठन-पाठन। वैराग्यनां गूढरहस्यो, संपादक - मुनि भव्यदर्शनविजय; प्रथम संस्करण २००३ ई०; भाषा एवं लिपि - गुजराती, प्रकाशक - पूर्वोक्त; आकार - डिमाई; पृष्ठ ६+९०; विभिन्न रंगीन चित्र; मूल्य - पठन-पाठन। संसारनी मायाजालनां गूढ रहस्य, संपादक मुनि भव्यदर्शनविजय; प्रथम संस्करण २००३ ई०; भाषा एवं लिपि - गुजराती; प्रकाशक - पूर्वोक्त; आकार - डिमाई; पृष्ठ ४+१०५; विभिन्न रंगीन चित्र; मूल्य - पठन-पाठन। . मननां गूढ रहस्य, संपादक एवं प्रकाशक - नाम अनुपलब्ध; भेंटकर्ता - श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन संघ चंदनवाला ट्रस्ट, अहमदाबाद; आकार - डिमाई; पृष्ठ - ४+२६८; मूल्य - पठन-पाठन। प्रवचन, प्रवचनकार - मुनि यशोविजय जी (वर्तमान आचार्य विजययशोदेव सूरि); तृतीय संस्करण १९९२ ई०; भाषा एवं लिपि - गुजराती; आकार - डिमाई; प्रकाशक - श्री मुक्तिकमल जैन मोहनमाला, रावपुरा, कोठीपोल, मंछा सदन, बडोदरा; पृष्ठ ६४; मूल्य - रु० ३.५०। 'प्रवचन पुस्तिका - ३, प्रवचनकार - आचार्य विजययशोदेवसूरि; भाषा - हिन्दी; प्रथम संस्करण - १९९३ ई०; आकार - डिमाई; प्रकाशक - पूर्वोक्त, पृष्ठ ५+५१; मूल्य - रु० ५.५०। ज्ञान की आशातना से बचो, लेखक - आचार्य विजययशोदेवसूरि; भाषा - हिन्दी; प्रथम संस्करण - १९९३ ई०; प्रकाशक - पूर्वोक्त; आकार - डिमाई; पृष्ठ - २+३०; मूल्य - रु० ३.५०। श्री शत्रुजय तीर्थ, लेखक आचार्य विजययशोदेवसूरि; भाषा एवं लिपि - गुजराती; द्वितीय संस्करण १९९३ ई०; प्रकाशक - पूर्वोक्त; आकार - डिमाई; पृष्ठ - ६-९६; विभिन्न चित्र; मूल्य - रु० १२.००। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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