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सारणी - २ : विभिन्न शास्त्रों में भोगोपभोग परिमाणव्रती एवं सचित्तत्याग प्रतिमाधारी के आहार में सचित्त वनस्पति क्रमांक ग्रन्थ नाम समय । | भोगोपभोग परिमाण
| सचित्त त्याग रत्नकरंड श्रावकाचार | २-३री सदी | आर्द्र मूलक, अदरक, मक्खन, नीम और कच्चे (सचित्त) मूल, फल, शाक, शाखा, कोंपल, कंद, प्रसून, केतकी के फूल (८५)
बीज का त्याग (१४१) चारित्तपाहुड़ २-३री सदी | भोजन का परिमाण २४/७४
सचित्त कंदादि का अभक्षण । भावपाहुड़ २-३री सदी
कंद, मूल, बीज, पुष्प, पत्रादि, किंचि से संसार भ्रमण मूलाचार - १ | २-३री सदी
वल्ली, वृक्ष, तृण आदि वनस्पतियों का परिहार करना चाहिये।
(साधु के लिये, २१७) मूलाचार - २ | २-३री सदी
अनिर्वीज, मध्यसार-रहित, प्रासुक आहार कल्पनीय है। (८२८) सचित्त, आम या अनग्निपक्व, कंद, मूल, बीज, पुष्प, पत्रादि
किंचि भक्षण का त्याग (८२७) ६. | कार्तिकेयानुप्रेक्षा १०वीं सदी | तांबूलादि (स्वाद्य) का परिमाण, भोजन का | सचित्त पत्ते, फल, छाल, मूल, किसलय एवं बीज के परिमाण (३५०)
| भक्षण का त्याग (३७९) ७. | वसुनंदिश्रावकाचार | १०वीं सदी
हरित या आर्द्र, छाल, पत्र, प्रवाल, कंद, मूल और
अप्रासुक जल का त्याग ८. | सागारधर्मामृत | १३वीं सदी | त्रसघात, बहुघात, प्रमाद,अनिष्ट, अनुपसेव्य, | अप्रासुक हरित अंकुर, बीज, कच्चा जल, हरित वनस्पति का
कंद, कलींदा, द्रोणपुष्प आदि का सीमित | त्याग (७.८)
काल/आजन्म त्याग ९. चारित्रप्राभृत टीका | १६वीं सदी | कंद, शाक, पुष्प व अनेक वनस्पतियां, फलों सचित्त का अभक्षण
आदि का त्याग (विशेषत:) (२३) सचित्त विवेचन | २०वीं सदी | सचित्त और अचित्त - दोनों भक्ष्य सचित्त को अचित्त करने पर भक्ष्य है।
वनस्पति और जैन आहार शास्त्र : ५१
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