Book Title: Siri Bhuvalay
Author(s): Bhuvalay Prakashan Samiti Delhi
Publisher: Bhuvalay Prakashan Samiti

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Page 99
________________ .. -- - - -- - --- --- -. - पांचवां अध्याय ई* ग पाबाग हिन्दण मुन्दके बहा । नागतकाल वेल्लयनु । प्राय स दन्तव सागुत काणुव । श्री गुरुवयवर ज्ञान ॥१॥ य* वेयकाळिन क्षेत्र वळतेयोळडमिसि । अवरोळनंत, बस क* लान् । कवनवदोळ सवियागिसिपेळुव । नव सिरिइरुव भूवलय ॥२॥ म्* रमद समयज् जान बातमनरूपु। निर्मलानन्दतद् असक ल* धर्मव परसमयद वक्तव्यतेयलि । निर्मलगोळिसुव ज्ञान ॥३॥ णा गवरणीय कलियलु । तानु केवल ज्ञानियागि ॥ श्रानन्द क* रतु पात्म स्वरूपव ताळ्व । श्री निलयान क प्रोमबत्तु ॥४॥ या वाग नोडिदरावागअललिये । ठाबिनपूणाचकवेनसि ॥ ताबुका लु* यव होनदुवन्कगळनु । तीविकोडिरुवातम नवम || पावन परिशुद्ध नवम ॥६॥ ईविश्व परिपूर्ण नवम ॥७॥ साविर लक्षानक नवम ॥८॥ पावन सूच्यग्र नवम ॥६॥ श्री विशवदादियु नवम ॥१०॥ साविर कोटिगळ् नवम ॥११॥ सावु वाल्विकेयोल्ल नवम ॥१२॥ साबु नोवुगळल्लि नवम ॥१३॥ नायुगळरियद नवम ॥१४।। श्री वीरनरिकेय नवम ॥१५॥ दावानल कर्म नवम ॥१६॥ ऋवागमवर्ष नवम ॥१७॥ प्रोविद्यासाधन नवम ॥१६॥ पावनवागिप नवम क गुलामानुपपता २०॥ तावुताविनोळेलल नयम ॥२१॥ श्रीवीर सिद्धान्त नवम ।।२२॥ श्री बीरसेनर नवम ॥२३॥ नायुगळळे युव नवम ॥२४॥ काबुतलिरुव भूवलय ॥२५॥ व रद हस्तद नवपदद निर्मलदनक । गुरुगळय्वर इ * रदनक || सरससाहित्यदवर्णनेगादिय । वरदकेबललधियन्क ॥२६॥ हा रदग्रदरत्न नायक मरिणयन्क मूरु । मूर्ल प्रोसबत्र अनक नूरु साविर लक्ष कोटियोळ् प्रोसवम् । दारिवेगेयलोम्बत् अनका२७॥ रिक द्धि सिद्धिगळनु कूडिसि कोडुबक । होदि बस्व दिव्य विश्न ये॥ अध्यात्मसिद्धियसाधिसिकोडुवनक । शुद्घकाटकदनक।।२।। यशस्वतियाडुव पराक्रत लिपियन्क । रसद समस्कत ध* रव्यदनक॥ असमानद्रविडसान्ध्र महाराष्ट्र वशदलिमलेयाळदनकर रिसिय गुर्जर देशदक ॥३०॥ रससिद्ध अन्गव अनक ॥३१॥ यशद कळिनगद अनक ॥३२॥ रसद काश्मीरानगवनक ॥३३॥ ऋषिय कम्भोजादियनक ॥३४॥ सनद हमम्मोरदनक ॥३५॥ यश शौरसेनीयदनक ॥३६॥ रस वालियनक दोमबत्तु ॥३७॥ वशवा तेबतियादियनक ॥३८॥ रसवेगि पळुधिन अन्क ॥३६॥ असमान वन्ग देशान्क ॥४०॥ विषहर बामहिपायनक ॥४१॥ रस नेमि विजयादनक ॥४२॥ व्यसनर्वाळप पद्मदनक ॥४३॥ रस सिद्धि वयुदयरनक ॥४४॥ वशद वयुशालियाद्यनक ॥४५॥ रसद सौराषटर दायनक ॥४६॥ यशद खरोटिय अन्क ॥४७॥ वशद निरोष्ट्रद अन्क ॥४८॥ यशदापभ्रमशिकवन्क ॥४६॥ विशेय पयशाचिकरन्क ॥५०॥ यशद रक्ताक्षरदनक ॥५१॥ वशवादरिष्ट देशान्क ॥५२॥ कुसुमाजियर देशबनक ॥५३॥ रसिकर सुमनाजियनक ॥५४॥ रसदयन्द्रध्वजदनक ॥५५॥ रस जलजद दलदनक ॥५६॥ वशद महा पद्मदनक ॥७॥ रसवर्ष मागधियनक ॥५॥ प्रा* रस पारस सारस्वतदन्कम् । बारस देशदादयन्क ।। वीर व* शद वेशदारय के सेरिद । शूर मालव लाट गवुड ॥५६॥ इस गळ नेरेनाड मागध देशान्क । प्रयराचेय विहारान्क ॥ नव म* दक्षरद उत्कल कन्याकुवजानक। सपिय बराह नानक ॥६॥ रिश धिय वयशरमणर नाडिनन कवु । शुद्ध वेदान्तदाद्य स र । इद्लले इश्व सन्दर्भद नाडक । एदु बरुव चित्रकरव ॥६॥ या डगम्य नाडक अन्वेने बाम हिय । एडगम्य सरद कर लब्द मडुविनन्कदे बेरेसलु प्रयवयवादन्क । एडबलसबन्दरियन्क ॥२॥

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