Book Title: Siri Bhuvalay
Author(s): Bhuvalay Prakashan Samiti Delhi
Publisher: Bhuvalay Prakashan Samiti

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Page 202
________________ सिरि भुवलय सय सिद्धि संघ, बंगलोरनीवल्मी पर मदली वृक्षवडियलिहरसही कन तल जिननज्जा'३३ व ट द ।। जिन'तपगेम्दु मुत्तुगवेने तुमुर। वन गिडदपवर्ग दडियिम् ॥२२॥ बुक दुरि 'पोब'म्'तपसिगळ ग्रगण्यरु' । सदय 'श्रेयामसरु' भ तुझ ला मुददि तपसिवशोकवदज्ज'३४मलपिसिद्धीषि'बेहव तेन्दु वृक्षा२३० दुक रियदि बिटु'द'अपवर्गवम् वासु' । सिरि पूज्यर् 'सुपवित्र' जिनसासिरिय पाटलि जम्बूक वितपिसिवाबरवे विमलनाथ नव'३५सा२३१॥ एक निरिमनसिजनम गेहानन्त'श। गोद धर्म स्वामि' युक्त तक पाळिय'कोनेगे अश्वत्थवु वधिमा साल'नुवाद पर्ण दगि' ॥२३२॥ लुळिगि'डवष्टिबिन्दयदि' ।।२३३।। कोलु तात जिनराद'सुप' २३४॥ यल वित्रद महो३६ अरहम ॥२३५॥ एलेयु'तराद शान्तियु' का॥२३६।रगलु'कुन्यु देवरु सुरुचि' ॥२३७॥ वलको 'रनन्दियु तिलक' ॥२३॥ ट्ल 'सरदियवृक्ष मूल' ॥२३६।। यल दलि तपवगेय् दरहन्' ॥२४०॥ अलि'तरागिश्व जसा ३७ वर्' ॥२४॥ बलदर शनदोळगनरि' ॥२४२॥ ऊलित श्री अर मल्लि' ॥२४३॥ मल्लात काद्रि भूवसय ॥२४४।। वक्षा शवशिसिदात्म पक्षगळु स्पर्श'। हस'मणियतेर मानु शालि ॥ वश'कम्केलिय हर्षव वृक्षग la'श'हहो ३५ परणियोळ मुनिसु'॥२४५।। अ निस 'व्रत नमि देवरु अरहन्त । गुण 'राद वृक्ष गळ्म्' सक्ष बोस'वरेये चम्पक धकुलमळेम्बेर । ई रणव 'म् परमात्मर बर' २४६॥ न. 'क्षवहह. ३६ समवसरणवनु नेमि'। अक्षर तोयंकरर' नस सक्ष विमल मेषभृत (गिडव) विमलरमे' रक्षे योळूर जन्तदि कम्॥९४७।। देश 'वल्यहोन्दिदरममधीमन् नेमि'। तावु जिनरा४०सीमेय'म नु!| नोवळिव श्री पार्शव तोयशनु'। पादेय 'रामरणीयकवा' ॥२४८|| बवन्द दार'मा मरव' ॥२४६।। लयर डिय सुवर्ण भना' ॥२५० गवरा'चल' शीमेगे सम' ॥२५॥ नव'मेदवरव ४१ महवीरदेवनु।२५२। मवतारे'शालोर्दोरुहद' ॥२५॥ ववएसददि बहळ कर्म ।।२५४॥ म बनेल्ल केडिसि' वहिसिद' ।।२५|| वावे'पावा पुखेद र ॥२५॥ व शोजेयु सिहियागि' ॥२७॥ प्रविहुदल्लि जप्त ४२ यक्षराक्ष॥२५८॥ रव 'स घ्यन्सरर शोकवने'।२५।। वबने रूल'साक्षात् प्रागि' २६०॥ गेवे निल्लिस बरक्षेय म' ॥२६॥ शदेय रगळेल्लवनु प्रशो॥२६२॥ क प्रवेन्दी विससिलि रुव' ॥२६॥ तिविध माहि'४३ यु'रसयुतवा' ॥२६४॥ कविरल वृक्षवि माले २१॥ वन गळ'होस घन्टेगळ' ॥२६॥ तबिद'लन्काररसयुक्कि' ॥२६७॥ बबुबहब फलावळि बग्गि' ॥२६॥ रिषिहरसमान विभव नो॥२६॥ गेव'उमम ४४ सोरुव गन्ध'।२७०॥ रव'द भारद ब्लूडनुभूरि' ॥२७॥ बत् 'यभवद शाखेगळे ॥२७२॥ अनु'बारियोळेल्ल भव्य' ॥२७३।। बुबु प्रात्मरशोकबु हारें ॥२७४॥ सघनोरोगिगळ'म् मावे ॥२७॥ रवहरम ४५ तरगळु इप्पा२७६॥ वतु'मास्कर हमम् परमा' ॥३७७॥ ख ममात्म बग्द्य शास्त्रबलि'बरेदिह हदि'। गमनेन्दु सा सुविरजाति ।समगेपरममंगलकाहुन्ड'४वह तीक्षणासम बागिह त्याद्वा ॥२७॥ म* न'द बुद्धि यंतोष्णतेयेष्टेम् बुदनु'घन'तीक्षणवाग' चिs रितो॥धन 'पुष्यायुरवेददरकषणे । समायोदगुबुदेनन् [४७] चाब२७। पर नु'लेक्कवनु नोद्धिदर बरु वोम्बत्तु। जिन'श्रीवीर जिनन' र# 'भूब'। तनु'लय' साबिर एरर इंन्नरस्वत्' एने 'मक्षर' ईवाग सरि ॥२०॥ हर रियहुदरिग'४६ अन्तर मूरोम्बत् प्रोमबत्। बरे ऐवप्रोन्द म काव्या। बरेऐतुमरोम्बत् सोने योमदे अंक । सिरि'गुरु' वीरसेम धवलयारम। ___ समस्त ऋ अक्षरांक १०९३५+ समस्त अन्तराक्षरांक १५,६६३२६,६२८+समस्त अन्तरान्तर २२५०%२६,१७५ अथवा अ-ऋ२,२२,६०३+३२६,१७२-२५२,०५१

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