Book Title: Siri Bhuvalay
Author(s): Bhuvalay Prakashan Samiti Delhi
Publisher: Bhuvalay Prakashan Samiti
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१२१ - सिरि भूवजय
सर्वार्थसिद्धि एक, वैगलोर-दिल्ली बरे मूर अोमबत्तु मूरेन्टु ॥१३०॥ वषद अय्दोमबत्तुगळ ॥१३१॥ बरेबुदु मूरु मत्तेन्टम् ॥१३२॥ सरि मास मुक्कालु वरुष ॥१३३॥ विरुवुद् प्रा सिम्हवायु ॥१३४॥ वरदु सुपार्शव पूर्वेगळ ॥१३५॥ बरुवुवु नवदन्क ऐदु ॥१३६॥ अरि मुन्दे पूर्वान्ग एळम् ॥१३७॥ बरे नव एळ मूरोम्बत् ॥१३८॥ सरि मुरु एन्टुगळक ॥१३६॥ बरि अन्यविनइतागे मरुव ॥१४०५ बरे प्रोमदु नाल्नव नरेन्टु ॥१४॥ वरुषगळनकवष्टिहुदु ॥१४२॥ गुरु पद्म प्रभर पूर्वेगळ ॥१४३॥ बरे अोमबत्तुगळ नदु सल ॥१४४॥ इरे इन्तु पूर्वाना दंक ॥१४॥ मुरेन्टु मूरोम्बत् मूरेन्दु ।।१४६॥ बरखुदेम्भत् नाल्कु लक्ष ।।१४७॥ दिरविनोळोम्दून वरुष ॥१४८॥ वर सुमति नव वयदपूर्व ॥१४॥ अरि पूर्वागदविडिएळ ॥१५०॥ बरे प्रायन्त वेम्ब्त्तु मूर ॥१५१॥ सरिम ध्य नत्र नवम ॥१५२॥ परि वर्ष विडियनक एळ ॥१५॥ पुरु सोन्ने एन्टोम्बत् नवच ॥१५४॥ अरि मत्ते नव मूरु एन्टम् ॥१५॥ सर अभिनन्दन पूर्वे ॥१५६॥ बरुव पूर्वेगळ प्रोमबत् ऐदु ।।१५७॥ अरि अंग नाल्नव मूह एंटु ॥१५८॥ बरुषादि एरडेन्ट प्रोम्बत्तु ॥१५६।। बरे तोम्बत् प्रोम्बत् मरेन्टु ॥१६०।। वर शम्भव नववयदु ॥१६१॥ वर पूरबगळ मुन्दे अंक ॥१६२॥ बरलादु देम भत्नाल्लक्ष ॥१६३॥ दिरविनोळ ऐदन्क ऊन ॥१६४।। वरुषवे म भत्नाल्कु लक्ष ॥१६॥ दिरविगे हदिनाल्कु ऊन ॥१६६॥ एरडने अजितर पूर्वे ॥१६७॥ सरियाद् प्रोमबत्तुगळ् ऐदु ॥१६८।। पर अंगवेम्भत्नाललक्ष ॥१६॥ दरविनोळे रडक ऊन ॥१७०॥ बरुषगळेम्भनाल लक्ष ॥१७१॥ दिरबिनोळून हन्नेरडु ॥१७२॥ पुरुदेव पूर्व लक्षपळ्गे ॥१७॥ सिरियोम्दु ऊनबादक ॥१७४॥ वरुषवेम्भनाल्कु लक्ष ॥१७॥ दिरविनोळ् साविर खन ॥१७६॥ इरब सिम्हगळ् अायुविनितु॥१७७॥ भरत खण्डद सिम्हवायु ॥१७॥ सन सिम्हगटार 11९५६॥ सिरियू पश्चादानु पूर्वी ॥१८०॥ इरु वष्ट महाप्रातिहार्य ॥१८॥ दिरविनोळ् पडिहार मूरु ॥१२॥ बरुवन्क सिम्हलांछन ॥१८३॥ गुरु बोरनाथ भूवलय ॥१८४॥ गुरु मुनि सुव्रत नमिय ॥१८॥ वर सिम्हदुपदेश बेरडु ॥१८६॥ परम्परे सिम्ह भूवलय ।।१८७॥
(पश्चादानु पूर्विय महावीर भगवान वाहन का सिम्ह और सिम्हासन के तीसरे प्रातिहार्यके सिमहको जिन्दे वरुष (१०) वश,) (पाच नाथके ३ मे प्रातिहार्य को सिम्हन आयु वरुष ६६८, इसी तरह पाये भी गिनती कर लेनी चाहिए)
: वा* सव निर्मित समवसरण बाळ्व । लेतिन कालदन्कगळम् ।। प्रा* सरेयष्टिह भरत खण्डद सिम्ह । दाशेय प्रातिहायक ॥१८॥ सबै म नाल्कु पादमळादर एन्टिह । कर्म सिम्हव कायवकव चा* विमल ज्ञानवृषभादितीर्थकयक्ष । रमल यक्षियर रक्षितवु ॥१८॥
* गुटरणवाद्य गोवदन चक्रेश्वरि । घन महायक्ष रोहिणी * पा । मरिगत्रिमुखनुप्रज्ज्ञातियक्षेश्वर । जिनयक्षिवज्रभृखलेयु॥१०॥ टि* तुम्बुर बज्रांकुश राग । मुद मातंग यक्षांक ॥ सद य अनातन पत्नि अप्रति चक्र शि। ठिद विजय पुरुषदत्ते ॥१९॥ २% व अजित मनोवेगे ब्रह्मनु काळि । सवरण ब्रह्म श्वरर् प्रादा नव ज्वालामालिनि देवियु हल्तक । इविकुमार महाकाळि ॥१२॥ च, रितेय षण्मुखम् गरि हन्नेरडंक । नव पातालरवर न यक्षा प्रवन गान्धारियु किन्नर वइरोटि। नवकिम्पुरुष सोलसे ॥१९॥ सी व गारुड मानसि देवि हदिनारु । नव गन्धर्य यक्षेश ॥ नव या महा मानसि देबिहदिनेल । सवरण कुबेर देवि जया ॥१९॥ हमें रुषद वरुणनु विजया देवो । सिरि भकुटि अपराजितेयु ॥ वर * हा गोमेध बहुरूपिरिण देवि । सिरि पार्शव कुछमाण्डिनियु ॥१९॥ स रण मातंग पद्मावति देवियु । वर गुह्यक सिद्धायिनियु ॥ ना रक तिरियु गतिगे सल्लद इव । सार भव्यर जीव देवर ॥१६॥ SHRS विरदेन्टु बलगळ तावरेयनु । कावुत तलेयोळू हात्त ॥ तानु ईल. नाल्मोग सिम्हरूपव काव्य । पावन यक्ष पक्षियह ॥१७॥

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