Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029 Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अतिचारो १. शंका २. कांक्षा ३. विचिकित्सा : ४. मिथ्यादृष्टि प्रशंसा : ५. तत्संस्तव श्रुतसागर - २९ उपरोक्त सुदेव, सुगुरू तथा सुधर्म-आ त्रण तत्त्वोने श्रद्धाथी जाणवा समजवा अने आराधवा जोईए. समकितना पांच अतिचारोने पण जाणी लेवा जोईए, जेथी अतिचार न लागे. अतिचारो वध बंध छविच्छेद : अतिभार www.kobatirth.org : (१) स्थूल प्राणातिपात विरमण व्रत व्याख्या : निरपराधी त्रस (हालता-चालता) जीवोने मारवानी बुद्धिथी मारवा नही. अने स्थावर जीवोनी मर्यादा करवी. : जिन वचनमां शंका करवी ते. अन्यमतनी अभिलाषा करवी ते. धर्मना फळ विषे संदेह करवो ते. अन्य धर्मीओनी प्रशंसा करवी ते. अन्य धर्मीओनो तथा कुलिंगीओनो परिचय करवो ते. पांच अणुव्रतो गृहस्थ जीवनमां रहेलो श्रावक सूक्ष्म हिंसानो त्याग करी शकतो नथी, केमर्के व्यापार, कुटुंब परिवार वगेरेथी संकळायेलो छे. गृहस्थ जीवनमां संपूर्णपणे अहिंसानुं पालन अशक्य छे. त्यारे वधुमां वधु जयणा अने अहिंसाना पालन पूर्वक जीवनशैलीनुं आयोजन थाय ए आ व्रतनो मूळ उद्देश छे. श्रावके द्रव्य, क्षेत्र, काळ अने भाव आम चारेय निक्षेपाए हिंसाथी जेटलुं दूर रही शकाय तेटलुं रहेवानो प्रयत्न करवो जोइए. आ व्रतना पांच अतिचार आ प्रमाणे छे : Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir : .... ७ : कोइनो वध करवो, कोइना प्राणोनो नाश थाय ते रीते मार ते. : बाळकादि के पशु वगेरेने गाढ बंधनथी बांधवा ते. : कोइ प्राणी, दास-दासी आदिनी चामडी के अंगोपांग कापवा For Private and Personal Use Only :. मजूर, पशु के वाहन पर तेना गजा उपरांत भार लादवो, मानसिक दबाण लाववुं ते.Page Navigation
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