Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
पांच अतिचार :
१. धनधान्यपरिमाणातिक्रम
१०
(७) स्थूल परिग्रह परिमाण व्रत :
व्याख्या : नवप्रकारना परिग्रहनुं यथायोग्य परिमाण करवुं. संपूर्ण परिग्रहनो त्याग तो निर्ग्रन्थ श्रमणो करी शके, ज्यारे गृहस्थ जीवनमां परिग्रह वगर चाली शके एम न होवाथी आ व्रतना माध्यमे परिग्रहनी मर्यादाने अल्प बनावी शकाय छे.
२.
www.kobatirth.org
क्षेत्रपरिमाणातिक्रम
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जून २०१३
-
: धार्या परिमाणथी धन वधे ते अथवा तो ते वधेला धनने पुत्रना भागे आप ते अथवा तेनाथी घरेणा वगेरे कराववां ते.
: धारेला क्षेत्रना परिमाणमा वधारो करवो अथवा धारेला मकान वगेरेमां धार्या करतां अधिक माळ बंधाववा ते.
: सोनुं-रूपुं वगेरे परिमाणथी अधिक राखवुं ते.
: त्रांबु, कांसु, पित्तळ, स्टील आदि तथा वासणो वगेरे परिमाणथी वधारे राखवां ते. : दास-दासी, गाय-भैंस वगेरे जनावरो परिमाणथी अधिक राखवां ते.
३. रौप्य स्वर्णपरिमाणातिक्रम
४. कुप्यपरिमाणातिक्रम
५. द्विपद- चतुष्पदपरिमाणातिक्रम
उपर प्रमाणे श्रावक जीवननी अति महत्त्वनी छतां पण नानी प्रतिज्ञाओ रूपे पांच अणुव्रतोनुं स्वरूप विचार्य. पांच मोटा पापोने रोकवा माटे पांच अणुव्रतो, श्रावक धर्मनो विचार कर्या बाद हवे त्रण गुणव्रतोनुं स्वरूप विचारीए.
गुणव्रतो
For Private and Personal Use Only
हवेना त्रण व्रतो श्रावक जीवनने वधु गुणसभर बनावनार होवाथी तेने गुणव्रत कहेवाय छे. आ गुणव्रतोना पालनथी श्रावक जीवनना अणुव्रतो वधु निरतिचार अने पालनमा पूर्ण बने छे.
(६) दिशि परिमाण गुणव्रत :
व्याख्या : चार दिशा - चार विदिशा, उर्ध्व अने अधो मळीने दश दिशामां जवानी हदनो नियम करवो ते....
आहारसंज्ञा, परिग्रहसंज्ञा, मैथुनसंज्ञा अने भयसंज्ञा वश जीवात्मा धनोपार्जन

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84