Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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अतीचार पांचइ परिहरीइ, भूषण पांच धरीइजी ।
सुधुं समकित निज मनि राखो, जिम भवसायर तरीइजी ||११||
पचखाण नुकारसी करुं नित वरसिहं पूजा एकजी । सिज्झायनइ नवकार सभाविइं, पणवीस गणुं सुविवेकजी ||१२||
समकित सुद्ध धरो....
वरसिइं एक अंगलूहणुं देहरइ, साहामी एकभगतावुंजी । जावजीव चंद्रूउ” आभरण", वरसिहं एक करावुंजी ||१३||
जून २०१३
समकित सुद्ध धरो....
छत जोगि मुहपती वोहरावं, दोकडा पांच धर्मठाणजी। इणि परि समकित सूधुं पालुं, आणी भाव विनाणजी ||१४||
समकित सुद्ध धरो....
||ढाल ||
पहिलं अणुव्रत कहीइ रे, सखि जीवदया मनि वहीइ । ऊदेरी” संकल्प आणी रे, नवि दूहवई त्रस प्राणी ||१५||
अपराध विना जे हणीइ रे, आरंभिदं वयणा भणीइ । पुढवी पाणी तेऊवाय रे, अनइं वली वनस्पतीकाय || १६ |
समकित सुद्ध धरो...
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तेह दिन जेहनो आरंभ रे, तेह दिन तेहनो आरंभ | मुज आण रहइ जे जीव रे, सीख दिउ तेहनइं सदीव ।।१७।।
१७
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हिव पढवीधर परमाण रे, खणवी मिदं सहीय सुजाण । ऊंडी पिहुली" वली तिम रे, हुइ घरनो माझेंनो जिम्म ||१८||
हिव समुद्रवारि नवि पीजइ रे, निज हाथि अगनि न खीजइ । वृक्ष वावेवा परिहार रे, मनि सूधो धरीअ विचार ||१९||
एह व्रत * सवाविसु पालुं रे, वली पांच अतीचार टालु । थूलमृषावाद हिव भणीइ, पांच मोटां कूडा सुणीइ ||२०||
२० वसा एटले एक रूपियो. महाव्रतनुं पालन २० वसा समान छे. महाव्रतना २० वसानी अपेक्षाए अणुव्रतां सवा वसा (रूपियामा एक आनी जेटलुं) अहिंसानुं पालन श्रावकजीवनमां थाय छे.

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