Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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३८
जून - २०१३ पोसह पारणि दीजीइ, मुनिनइ सूजतो आहार | अतिसंविभागवत बारमुं, वरसिंइं एकवार ।।८२।।
- सुंदर भाविइं पालीइ... मुंज संलेखणानी भावना, भावु मन सुद्धि। दसे आगार पालतां, लहीइ सिवरिद्धि ।।८३।।
सुंदर भाविइं पालीइ... नीम भंगि नीवी करूं, परमादिइं जोइ। दस बोल अधिका मुंकस्यु, जिम भंग न होइ ||८४।।
सुंदर भाविइं पालीइ... सोलछइतालइ रवि दनि, चैत्र शुदि अष्टमी होइ। श्रीधर्ममूर्तिसूरि कन्हइ, बारव्रत ऊचरियां जोइ ।।८५।।
सुंदर भाविइं पालीइ... मंगलमाला संपजइ, कल्याणनी कोडि। निरमल भाविइं जे भणइ, एह व्रतनी जोडि ८६ ।।
सुंदर भाविइं पालीइ... आधि श्रीअनलवाडा पाटणनगरे सालीवाडामध्ये वास्तवं मोढज्ञातीय: __ पंड्या सीपा सुत भवानकेन लख्यंत।शुभं भवतु।।
किल्याणमस्तु ।। ।।छ छ छ। ।। संवत् १६४६ वर्षे चैत्रमासे शुक्लपक्षे अष्टमी रविवासरे श्री उपकेशज्ञातीय शुश्रावक सं. देवदास तत्भार्या सुश्राविका वानू तत्सुत
सं.वधा तत्भार्या सरूपाईकेन बार व्रतोचार कृतः।। ।। श्रीनूतननगर मध्ये।। वाच्यमानो चिरंजीयात्।। मुनिक्षमासागरेण चित्रित श्रीरस्तुः।।
शब्दार्थ
१. मल्हार = आनंद आपनार २. सिरमणि = शिरमणि ३. पाईई = चरणे ४. रसाला = रसपूर्वक ५. अतिसे = अतिशय ६. निखिइं = निक्षेप ७. दिसि = दिशा
८. पाइ = चरण ९. नुकारसी = नवकारशी १०. सिज्झाय = स्वाध्याय ११. अंगलूह' = अंगलूंछणा १२. चंद्रूउ = चंदरवो १३. आभरण = घरेणुं १४. दोकडा = चलण
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