Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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जून - २०१३ झालरिया कारेलां ए, ओला उंबी२४ बेय। बीजोरु दातण सही, आओलवू ज होय ।।२३।।
ढिाल राग-पर्मिओ।। जात सुकवैण तणी कहिइ, कयर सेलरां बोर रे। कोठिंबडां काचरीअ डोडी६, ओढवां राइंण जोर रे ।।२४।।
जात सुकैवण तणी... आंबली खेजड८ हलद हरडांस, आंबला बहिडा जांण रे। सरगुआफली३२ अगथिआफली, कडाफलीय वखांण रे ।।२५।।
जात सुकैवण तणी... बाओलिया आमलागंठी, काकडी वली चंग रे। कोठवडी हविं कणनी संख्या, कहुं धरि(री) मन रंग रे ।।२६।।
जात सुकैवण तणी... चोखा तुअरि तदडा, वाल चोला बाजरी। मसुर कलथी अडद कुटकी, मूंग जोआर कोदरी ||२७ ।।
जात सुकैवण तणी... राइ रालो चणा सरसव, बरटीय तिल जव जांण रे। झालरिया अलसीय पाणी, जात सब मन आंण रे ।।२८।।
जात सुकैवण तणी... व्याज पंचोतरासई कइ, राजव्यापार नीम रे| व्यापार कणनो मुदफरी सत, दोइनो मुझ सीम रे ।।२९ ।।
___ जात सुकैवण तणी... ढाल।। राग-केदार गोडी।। पनर करमादाननो रे, सुणयो हविं उपदेस । कोलसा वेची नवि करूं रे, आजीवका लवलेस रे ||३०।।
भविजन पालो ए व्रतसार (आंकणी)
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