Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 53
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५१ श्रुतसागर - २९ खेती वाडी नवि करूं, माथां गं,१६ बार रे। त्रिणि मण सूकुं सालगुं", नीलवणि१८ नीसुणि वात रे ।।२४।। नालकेर अनि तांजलजु, आंबांनि वली पान रे। लची झालर१९ पापडी, बीजी कहुं अभिधान रे ||२५।। दातणि आउलि बोरडी, चीभड केरी जाति रे। कालिंगडुं खजुआरिनु, चुलाफली मनि भाति रे ।।२६।। बाजरीआं नइ तूरीआं, नामि एह ज तेर रे। एह विना नवि वावरूं, घांन नाम सुविचार रे ।।२७।। चीणु बरटी बाजरी, चउला मग मठ माल रे। तूयरि बल तिल झेझरु, राई मण चीवाल रे ।।२८।। झारि१ गहुँ ज सवे करीउ, मेथी भीडी कांग रे। शालि अडद च्यणा घणा, कलथ कोदिरा लांग रे ।।२९ ।। शाक मण दोइ सूकवू, न चढुं शफरी२३ वाहण रे। अनंतकाय सवि परिहरूं, अभख्य तणुं पचखांण रे ।।३०।। बार हेलि माटी तणी, च्यार भरणीयां छांण रे। बेढा नितु दस जल तणां, रंगवू सउ गज जांण रे ।।३१।। साव, साडी साडलुं, एक एक हुं राखुं रे। कर्मादांन नवि आदरूं, सातमुं व्रत इम भाऱ्या रे ||३२|| चुपई। अनरथदंड व्रत छइ आठमुं, आदरतां दुरगतिनी गमुं। घरटी२६ ऊखल मूंसल" जोडि, नवि आपुं दाखिण विण कोडि ।।३३ ।। चोर सती जोउं नवि धाय, हीचोले हीचुं नवि जाय । सामायक व्रत पालुं खरूं, मासिं पनर सामायक करूं ।।३४।। दसमि वर्ति संभारूं रली, चऊद नीयम संखे, वली। त्रीस गाऊ मुझनिं मोकलां, चऊ दिसिं जाउं आईं भलां ||३५।। For Private and Personal Use Only

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