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जैन प्रतिमाओं की परम्परा
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डॉ. सत्येन्द्र कुमार
प्रतिमा का अर्थ है प्रतिरूप । इसी भाव को स्पष्ट करने के लिए प्रतिकृति, प्रतिमा, बिम्ब आदि शब्द प्रयुक्त होते हैं। बिम्ब का अर्थ है छाया । यह शब्द पारलौकिक प्रतिमाओं के लिए प्रयुक्त होता है। जैन धर्मानुसार उपासना का मूल उद्देश्य हमारे उपास्य देव अर्हंतों के गुणों की प्राप्ति है अथवा दूसरे शब्दों में उनके (आत्मा के स्वाभाविक) गुणों में हमारे अनुराग को दृढ बनाने के लिए ही उनकी उपासना की जाती है ताकि बारबार एकाग्रतापूर्वक चितवन करने से हममें भी वही गुण प्रकट हो जायें। जनसाधारण में प्रतिमा का उपयोग तो होता ही था, ज्ञानी एवं ध्यानी भी ध्यान एवं मनन के लिए प्रतिमा का आधार लेते थे ।
जैन प्रतिमा की प्राप्ति तो हडप्पा काल ( २५०० - १७५० ई. पू.) से ही मानी जाती है। हडप्पा से एक मृण्मूर्ति नग्न मानव द्वारा अपने हाथों से एक पक्षी को पकड़े हुए है जिससे पंचम तीर्थकर का अपने लांछन के साथ होने का आभास देता है। हडप्पा के उत्खनन से प्राप्त लाल रंग के जैसपर पत्थर (सूर्यकान्त मणि) का बना एक नग्न मानवकबंध मूर्ति ( कायोत्सर्ग मुद्रा में है, कायोत्सर्ग मुद्रा को भगवान महावीर ने समस्त दुखों से मुक्ति प्रदान करने वाला बताया है ) को प्रथम जैन तीर्थंकर का प्रतीक माना जाता है। तथा मोहनजोदडो एवं हडप्पा की खुदाई में उपलब्ध सील-मुहर नं. ३से५ व ४४९ में डॉ. प्राणनाथ विद्यालंकार जैसे वैदिक विद्वान, 'जिनेश्वर, शब्द का सद्भाव पढते है। रायबहादुर चंदा जैसे महान पुरातत्त्व विद् का कहना है कि वहाँ की मोहरों में जो भी मूर्तियाँ पाई गयी हैं उनमें ऋषभदेव की खड्गासन मूर्ति मे त्याग व वैराग्य का भाव अंकित है । सिन्धु सभ्यता से जो सामग्री मिली है उस पर से अनुमान है कि उस प्राचीन भारतीय संस्कृति में योग का उच्च स्थान था । ऐसी स्थिति में जैन धर्म को तथाकथित सिन्धु संस्कृति (२५००-१७५० ई. पू.) से भी संबद्ध किया जा सकता है। क्योंकि जैन धर्म में प्रारम्भ से योग का उच्च स्थान रहा है।
जैन धर्म में मूर्तिपूजा की प्राचीनता से संबद्ध सबसे महत्वपूर्ण वह सन्दर्भ है जिसमें साहित्यिक परम्परा से ज्ञात होता है कि विद्युन्माली ने भगवान महावीर के जीवनकाल (५९९-५२७ ई. पू.) में ही उनकी चन्दन से निर्मित एक प्रतिमा का निर्माण किया था। इस मूर्ति में महावीर को दीक्षा लेने के लगभग एक वर्ष पूर्व राजकुमार के रूप में अपने महल में ही तपस्या करते हुए दर्शाया गया है। चूँकि
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