Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 52
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५० जून - २०१३ चउथु व्रत सूधुं धरउं ए, कायाइं अब्रह्म परिहरूं ए। मन वचनिं जयणा करूं ए, भवसायर इणि परि हुँ तरूं ए ।।१२।। ढाला। पंचमइ व्रति सुणइ दोकडा रूपईआ शत च्यारि रे। वीस वीस तोला राखवा, कंचन रूपुं उदार रे ।।१३।। हाट" एक हुं वावरू खडकी बद्ध घर एक रे। पांचसिं मण धान' संचवू, दोय मण कूटि' प्रविकार ||१४|| गाय भिंसि छाली भली, पांच पांच सार उछेर रे। वृषभ दोइ जोडि राखवा, जवहर११ वर पा सेर रे ।।१५।। दस मण किरिआणुं सर्वासु, मण रूअ कपास रे । खांड तेल गुल धृत घj, साठि २(बे) मण मनि आस रे ।।१६।। छ मण मीठु वरसमां, घर-वाखरु१३ अशेष रे। महिमुंदी पंचासनु पंचमि, व्रति ए रेख रे 11१७ ।। छठ्ठइ व्रति निज वासथी, जोअण शत बइ जोय। उंचु नीचुं जाय, बइ, एक जोयण होय रे । [१८ ।। सातमु व्रत हविं सांभलु, भोगोपभोग ज नाम रे। सात सचित्त मुज मोकलां, बत्रीस द्रव्य सुकाम रे ।।१९।। विगय पंच दो वाणही", पासेर तंबोल सार रे । च्यार वेस नितु पहिरवा, कुसुम तणु परिहार रे ।।२०।। वाहन च्यार चतुरपणइ, शय्या च्यार जगीस रे। पाउ विलेपन मासमां, त्रिणि न्हाण आंघोलि वीस रे ।।२१।। घोणी पांच सोहामणी, अधमण भात प्रमाण रे। दोइ घडा जल पीजीइ, चऊदि नियम वखाणि रे ।।२२।। खांडवू दल, भरड, सेकQ छ मण होय रे। चूल्हा च्यार संधूकवा", कातवू अद सेर दोय रे ।।२३।। For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84