Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 45
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रुतसागर - २९ www.kobatirth.org व्रत पांचमइ परिग्रह मांन करतां ते लहो सुखनिधान । मुदाफरी पांच हजार, मोकली' जावजीव अपार ।।११।। कांसा - कूट पांच मण वरसि, दश माप धांन एक वरीस । हेम सेर एक हाट कहिइ, खडकी छ घर जिहां रहिइ ||१२|| एक वहिल" बलद एक सार, घोडीनो सब परिवार | दीइ दास-दासी एक महिसी, गो छाली " वेला सरसी ||१३|| छटिं दिगव्रतनी सीम, जलवट १२ लाभार्थि नीम | उंचुं नीचुं जोअण दोइ, थलवट Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लाभार्थि सो होई ||१४|| ||ढाल || सात व्रत हवई सांभलो, अभख अनंतकाय नीम । पांच सचित द्रव्य चालीस, च्यार विगयनो सीम " ||१५|| पणवीस पांन सुमोकलां, वाणही " जोडी च्यार । पंचदशांबर दिन प्रतिं, कुसुम तणो परिहार ||१६|| वाहण गाडुं एक एव घोडा दो चउ नाव । पांच बलद दोइ सिज्या, अवर तजुं मनभाव ||१७|| तेल विलेपन पा सेर, अधसेर धूपेल सार । शील कायाइं पालवु, आप वसिं निरधार ||१८|| दिशि अहोरात्र थई नई, मोकली कोस च्यालीस । आप वसिं दोइ नाहण", अंघोल" मासि तीस ||१९|| भात सेर पंच पांणी, छासनी गागरि एक । खादिम सेर त्रिण दिनप्रतिं, सादिम सेर ज एक ||२०|| भाइ दस दिन सालणा", हवइं सुणो नीलवणि जात । आंबा लींबू डांगरां, केलां काकडी जात । २१ ।। नालीयर नीलुं चणा वली, भाजी मेथीनी जांण । तुरीयां दाडिम सेलडी, काहलुं" पुंखनइं पान ||२२|| For Private and Personal Use Only ४३

Loading...

Page Navigation
1 ... 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84