Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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श्रुतसागर - २९
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व्रत पांचमइ परिग्रह मांन करतां ते लहो सुखनिधान । मुदाफरी पांच हजार, मोकली' जावजीव अपार ।।११।।
कांसा - कूट पांच मण वरसि, दश माप धांन एक वरीस । हेम सेर एक हाट कहिइ, खडकी छ घर जिहां रहिइ ||१२||
एक वहिल" बलद एक सार, घोडीनो सब परिवार | दीइ दास-दासी एक महिसी, गो छाली " वेला सरसी ||१३||
छटिं दिगव्रतनी सीम, जलवट १२ लाभार्थि नीम |
उंचुं नीचुं जोअण दोइ, थलवट
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लाभार्थि सो होई ||१४||
||ढाल ||
सात व्रत हवई सांभलो, अभख अनंतकाय नीम । पांच सचित द्रव्य चालीस, च्यार विगयनो सीम " ||१५||
पणवीस पांन सुमोकलां, वाणही " जोडी च्यार । पंचदशांबर दिन प्रतिं, कुसुम तणो परिहार ||१६||
वाहण गाडुं एक एव घोडा दो चउ नाव । पांच बलद दोइ सिज्या, अवर तजुं मनभाव ||१७||
तेल विलेपन पा सेर, अधसेर धूपेल सार । शील कायाइं पालवु, आप वसिं निरधार ||१८||
दिशि अहोरात्र थई नई, मोकली कोस च्यालीस । आप वसिं दोइ नाहण", अंघोल" मासि तीस ||१९||
भात सेर पंच पांणी, छासनी गागरि एक । खादिम सेर त्रिण दिनप्रतिं, सादिम सेर ज एक ||२०||
भाइ दस दिन सालणा", हवइं सुणो नीलवणि जात । आंबा लींबू डांगरां, केलां काकडी जात । २१ ।।
नालीयर नीलुं चणा वली, भाजी मेथीनी जांण । तुरीयां दाडिम सेलडी, काहलुं" पुंखनइं पान ||२२||
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