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श्रुतसागर - २९
४१ छे. कर्मादानना परिमाण प्रसंगे कोलसानो व्यापार करी, आजिविकानो निर्वाह क्यारेय न करुं आ वातना निर्देशथी ए समयमां कोलसानो व्यापार वधु गर्दापात्र होवानी संभावना व्यक्त थाय छे. सामान्यथी कर्मादानना कोई एक पेटा भेदना उल्लेख साथे आजीविकाना निर्वाहनो स्पष्ट निषेध मळतो न होइ आ प्रकारनुं अनुमान संभवे छे.
पोतानी अंगत आराधना रूपे दर महिने त्रीस सामायिक करवा. रोजनुं एक सामायिक लेवानी अहीं वात नथी, परंतु मासांते त्रीस सामायिकना व्रतनो स्वीकार जणाय छे. तेमज वर्ष दरम्यान १२ पौषध करवानी नोंध आपी छे. प्रति वर्ष एकवार आ टीपनुं वांचन करवानी नोंध आपी व्रत प्रत्येनी पोतानी स्मृत्ति अने जागृति व्यक्त करी छे. कृतिमा आवता केटलांक विशेष शब्दो :
सरगवा माटे वपरातो मूळ शब्द शरगुआफली एना पुरातन वैभवने सूचवे छे. वस्त्रना पर्याय माटे वपरातो लूगडां शब्द अहीं जोवा मळे छे. तदडा शब्द कोई धान्य विशेषना अर्थमां वपरायो होय एयु संभके छे.
पूर्ण करवाना अर्थमां पोचाडवा शब्द पण भाषाना फेरफारोनी नोंध आपे छे. प्रत परिचय :
आ प्रत डभोई श्री संघना भंडारमाथी मळी छे. प्रत पत्र कुल बे छे. प्रतना अक्षरो सुंदर छे. वच्चेना भागे चोखंडामां चार अक्षरोनुं अंकन छे. पत्र क्रमांकना स्थाने फुल वेलनी सुंदर डीझाईन आपवामां आवी छे. खंडित पाठने हांसियामां उतारेल छे. प्रत लेखन संवत विगेरे कोई उल्लेखो प्राप्त थया नथी. परंतु लेखनना आधारे प्रत १७मी सदीनी होवानुं संभवे छे.
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