Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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४५
श्रुतसागर • २९
आजीवका भली चालता रे, रंगावू नहिं वस्त्र। निखरावू नहिं लाभार्थि रे, जिम होइ जीव पवित्र रे ।।३१।।
भविजन पालो ए... पटोला साडी लूगडां रे, एहनो करुं व्यापार । मुदफरी सिं३५ च्यारनो रे, बइसिं नाणावट सार रे ।।३२।।
भविजन पालो ए... मुदफरी सत बइ तणो रे, कणनो करुं व्यापार आजीवका वर चालतां रे, धूपेल मण चित्तधार रे ।।३३।।
भविजन पालो ए... खांडवू पीसवू भरडवू, मली मण दस सार।। चूला च्यार संधूकवा रे, माथां गुंथू दिन च्यार रे ।।३४।।
भविजन पालो ए... काजिं कामिं दिनप्रति रे, सेकवू पांच ज सेर। महिनइ मण एक मोकलूं रे, जिम छूटइ भव फेर रे ।।३५।।
भविजन पालो ए... आठमई धर्म अर्थ टाली रे, मोटा अनर्थनो नीम। चोर सती नवि जोयवा रे, ऊदेरीनइ८ कीम रे ।।३६ ।।
भविजन पालो ए... व्यापार मुदफरी सो तणो रे, गोलनो घीनो जांण। सात वसन सेवू नर्हि रे, जांणी धरम विनांण ||३७ ।।
भविजन पालो ए... नवमइ करीय पोचाडवां रे, मासिं सामायक त्रीस। मासिं वरसिं वांचवी रे, दसमइ टीप जगीस रे 11३८1।
__ भविजन पालो ए... ढालII राग-धब्यासी।। पालुं रे पालुं रे पोसहव्रत भलुं, निरमलुं मुगतिनुं सुख जांणी। बार पोसह करूं वरसना हुं सही, जिम वही जाइ सब पाप खांणी ।।३९।।
पालुं रे पालुं रे...
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