Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 39
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३७ श्रुतसागर - २९ हांडल-कुंडल सघलां मली, करी कारी त्रणि ना लेसि। वरसिई छ सहिस नलीआ लीजीइ, दिनि चूल्हा च्यार कहसि ए |७४।। भवीयण लाधो नरभव... तापणी सगडी रे कारणि करूं, लाहाला पाडावा आणि ए। कामण खांडण पीसण भरडणइ, सेर त्रीससे कण जाणि ||७५।। भवीयण लाधो नरभव... मुलq बोलवू रे मीठु देउ, तां दिन प्रति माणा दोइ। वीवाह कारणि मांडी सम, नही माथा गूथण छ होइ ।७६ ।। भवीयण लाधो नरभव... साबू कंकोडी रे साजीखारस्युं, एक मण वरसिक रे। सिकेई छ मीटु एक वरस प्रतिइं, घर काजि तेह धारसिं । ७७।। भवीयण लाधो नरभव... व्याज वोहोरुं रे दोसो केरडो, वाहणनो व्यापार। बे लाख केरु ए सब कीजीइ, सकट भाडु परिहार |७८ ।। भवीयण लाधो नरभव... गाडूं वहइल रे पोठी नावडु, डोली पालखी सार। ऊंट ते मुंकी बा(बी)जां छांडीइ, करमादान परिहार ||७९।। भवीयण लाधो नरभव... आठमइ क्रोध धणो नवि आणीइ, नवि करीइ मुनि रोस। परनइं सावध वचन न बोलीइ, आरति रुद्रध्यन न सोस ।।८।। भवीयण लाधो नरभव... ढाल दिलानी।। नोमिइ सामायक कीजीइ, आणी मनि उल्हासि । मासिइं पांच सही सदा, शकतिइं अधिकी आस ।।८१।। सुंदर भाविइं पालीइ, लही वेलासी च्यार। शिख्याव्रत सेवतां लहीइ भव पार. दसमुं देसावीगासिक वरसिइ पंच करेसि। पोसहव्रत इग्यारमु, वरसिंइं एक धरेसि 11८२|| सुंदर भाविई पालीइ... For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84