Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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नाहण मासे रे च्यार करीनइ सारीइ | अंघोलज रे पनर विना नवि कारी ए ।
पाणीना रे कुंभ बे सेर पंच भात ए । सेर पंचज रे सूखडीनी ल्यूं जाति ए ||४४॥
५१
सालणा" पनर ल्यूं दिनप्रति अभक्ष वीस परिही ए ! कारण विशेषइ करू जयणा, अनंतकाय निवार ए । चलित रसनी करूं जयणा, दंतचूडो एक वसर रे ए । कचकडा" केरु एक चूडो, जाव-जीव सविवेक ए ।। ४५ ।।
५२
प्रति वरसइ रे वार त्रणि ते रंगवा ।
५३
कसुभां रे घाटडी" च्यार ज उढवा । रेसमीनी रे घाटडी वरसइ एक ए । वली पंचसेर रे कुंकम केसरोल ए ||४६ ||
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सीदूर एक सेर हीगलो, रातु रंग त्रिणि सेर ए । पाथीय मीण ऋणि सेर काजल, सारीए अधसेर ए । चादला कोडी वीस वरसए केसूडी" त्रणि सेर ए ।
५५
कसु कसु सुकडि" सेर पंच, वली धूपणुं एक सेर ए ।। ४७ ।।
जून २०१३
कपूर जरे निबचूउ, कालो बाबरु गुलाल ज रे । कालूवरी" (रि) मलीयागरु ए।
सघला रे वरस प्रति अधसेर ए ।
वली अबीर ज रे, लोबान ए बिहु सेर ए ।।४८ ।। केसर बसेर वली धरुं, मीती" वली सेर सात ए । दस सेर सुंदर अति सुगंधिई, तेल केरी जाति ए । कुसुम जाति सुगंध वारू, कीजीइ अति घणू रसिदं । हिवइ धान केरी जाति बहुली, बोलीइ मननइ रसिदं ।। ४९ ।। 1 /गगनि वादल अति गिहि गया-ए ढाल ||
चोखा गहुं जारि जातिस्युं, अडद चोला मग जाति रे । मठ चिणे बरी
६०
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बाजरी, जव भरट कुलथीअ" भाति रे || ५० ॥

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