Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर - २९ ११ माटे दशे दिशाओमां फरी रह्यो छे. त्यारे एना परिभ्रमण उपर एक मर्यादा होवी जोईए, आ व्रत स्वीकारना माध्यमे आ मर्यादा प्राप्त थाय छे. अतिचार १. उर्ध्व दिक्परिमाणातिक्रम : धारेल मर्यादा करता वधारे ऊंचे जनुं ते. २. अधो दिक्परिमाणातिक्रम : धारेल मर्यादा करतां नीचे जवुं ते. ३. तिर्यग् दिक्परिमाणातिक्रम: चार दिशा, चार विदिशानी धारेल मर्यादा करतां वधारे जवुं ते. ४. क्षेत्रवृद्धि ५. स्मृति अंतर्ध्यान : बधी दिशाओनी धारेली मर्यादा भेगी करी एक दिशाए वधु दूर जयुं ते. : केटली मर्यादा धारी छे ते ख्याल न रहेतां, शंका होवा छतां पण मर्यादाथी वधु बहार जवुं ते. (७) भोगोपभोग परिमाण गुणव्रत : व्याख्या : एक वखत भोगवी शकाय ते भोग. भोजन विलेपन वगेरे.... अनेक वखत भोगवी शकाय ते उपभोग वस्त्र, अलंकार वगेरे.....आवी भोग, उपभोगनी वस्तुनुं परिमाण करवुं ते सातनुं भोगोपभोग परिमाण व्रत कहेवाय छे. आ व्रतनी आराधना माटे अनेक विषयो नजर समक्ष राखवा जरूरी छे. (१) १४ नियमो धारवा (२) १५ कर्मादाननो त्याग (३) २२ अभक्ष्य त्याग (४) ३२ अनंतकाय त्याग. आ व्रतमां भोगोपभोगना २६ प्रकारना बोलोनी मर्यादा बांधवानुं अने पंदर प्रकारना कर्मादाननो त्याग करवानुं विधान छे ईच्छाओ अने लालसाओ उपर विवेकपूर्वकनो अंकुश आ व्रत स्वीकारना माध्यमे मूकी शकाय छे. अतिधारो सचित्त आहार : सचित्त वस्तु खावी - पीवी, ते... सचित्त प्रतिबद्ध आहार : सचित्तनी साथ संबंधित वस्तु वापरवी ते.... अपक्वाहार : बराबर पकावेली न होय तेवी वस्तु वापरवी ते.... : अधकचरी पकावेली (मिश्र) वस्तु वापरवी ते... दुष्पक्वाहार तुच्छौषधिभक्षण : खावानुं थोडु, फेंकवानुं घणु एवी वस्तुओ जेम के बोर, शेरडी, सीताफळ, दाडम वगेरे खावुं ते. For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84