Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra * * www.kobatirth.org श्री सम्यक्त्वमूल द्वादश व्रत सज्झाय पईसा' आपुं मनि रुली । * थूल दस आसायण कही, मूल गभारइं टालुं सही ||७|| 7 खादिम भोजन पाणी जाणि वाहणी मिहुणनुं पचखांण । थूक सलेम सुवुं नही, लघुनीति जुवटू' ते सही ||८|| राय गण बलाभिओग, देव गुरुनिग्रहनो योग । वित्तीकंतार' छ आगारइं करी, समकित व्रत पालुं मनि धरी । ९ । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संवत्सर चउदसि चउमास, देहशक्तिं करवो उपवास । समकितनुं कारणी होइ, हवई भणसुं व्रत दस- दोई ||१०|| || मेहं सेवीजी देवी सरसति तणा पाय-ए ढाल // व्रत पहिलइंजी थूल, जीव सवि पालवा कृमि वालादिकजी' विण, अपराधई टालवा ! व्रत बीजुंजी थूल, मृषा हुं परिहरु । कन्या गो भूमिजी थापणि, मोसो नवि करुं । । नवि भरुं कूडी साखि केहनी" न भाखुं ते हुं भली । ए मोटा पांच जूठां जांणीनई टालुं वली ! अवर असत्य जे सूखिम" तेहनी जयणा वरुं । बीजुं अणुव्रत सच्चर पालुं दोष टालुं सुख करुं ||११|| व्रत त्रीजइंजी राजदंड चोरी नवि करुं । अणदीधाजी वस्तु पीआरी नवि हरु । पडी - वस्तुजी लाभई मुझनई जे वली । धणी" मिलइंजी पाछी आपुं ते भली ते आपुं अरध धरम थानकि, निधान इम जाणी सही । वाट गांठिनइ खात्र* चोरी, पाप तोल कूडां नही । प्रथम पत्र नथी. चोरी करवा माटे घरमा प्रवेशवा मीतमां पाडवामां आवतुं कांणुं. For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84