Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रुतसागर - २९ ।।कलश ।। तपगछतारइ, विजयसेनसूरि धारइ, टीप लिखावी सोहामणी इम व्रत पालो, कुल अजूआलो, पाप पखालो हित भणी । सकलवाचक सोहइं, भविजन मोहइ, मुक्तिसागर सिरताज | कवि गुणसागर सीस पभणइं पामो अविचलराज ।।७२ ।। = १. पईसा = पैसा २. आसायण = आसातना ३. वाहणी = मोजडी ४. सलेखम श्लेष्म ५. जुवटूं = जुगार ६. वित्तीकंतार आजीविका हेतु ७. थूल स्थूल ८. वालादिक वाळो आदि ९. मोसो = चोरी ? (मुसइ = चोरी ले) १०. केहनी = कोइनी ११. सूखिम = सूक्ष्म १२. सच्च - सत्य १३. धणी १४. सहि शुभ १५. मोहिनी = मोह ।। इति श्री सम्यक्त्वमूलद्वादशव्रतसज्झाय सम्पूर्णम् ।। ।। संवत् १७२९ वर्षे लिखितं शांतिनाथप्रासादात् ।। || शुभं भवतुं || || श्रीरस्तु ।। शब्दार्थ = 1 = = www.kobatirth.org = मालिक १६. दोहिलुं = मुश्केल, दुर्लभ १७. सोहिलुं = सहेलुं १८. रंजीइं = खुश थवुं १९. महिदी = एक प्रकारनुं नाणुं २०. चूकीइं = चूकवुं २१. व्रतसीम मर्यादा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२. द्विपद बे पग़वाळा = २३. माला = मांचडो २४. वहिल = शणगारेलुं गाडुं २५. खडक = खडकी २६. गरहणानी २७. आखडी २८. धान = धान्य २९. क्रियाणुं = करियाणुं ३०. इंधण = बळतण ३१. कुंभारनो घाट = घटादि सामग्री ? = For Private and Personal Use Only = = लेवानी नियम ३२. खारां = मीठांना पाणीमां पलाळवा. ३३. वाखरो = घरवखरी ३४. जोअण योजन मोटुं जहाज ३५. शफरी ३६. वाणही मोजडी २५ कुंभारने त्यां मळती

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