Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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श्रुतसागर - २९
।।कलश ।।
तपगछतारइ, विजयसेनसूरि धारइ, टीप लिखावी सोहामणी इम व्रत पालो, कुल अजूआलो, पाप पखालो हित भणी । सकलवाचक सोहइं, भविजन मोहइ, मुक्तिसागर सिरताज | कवि गुणसागर सीस पभणइं पामो अविचलराज ।।७२ ।।
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१. पईसा = पैसा
२. आसायण = आसातना
३. वाहणी = मोजडी
४. सलेखम
श्लेष्म
५. जुवटूं = जुगार
६. वित्तीकंतार आजीविका हेतु ७. थूल स्थूल ८. वालादिक वाळो आदि ९. मोसो = चोरी ? (मुसइ = चोरी ले) १०. केहनी = कोइनी
११. सूखिम
= सूक्ष्म
१२. सच्च - सत्य १३. धणी
१४. सहि
शुभ
१५. मोहिनी = मोह
।। इति श्री सम्यक्त्वमूलद्वादशव्रतसज्झाय सम्पूर्णम् ।। ।। संवत् १७२९ वर्षे लिखितं शांतिनाथप्रासादात् ।। || शुभं भवतुं || || श्रीरस्तु ।।
शब्दार्थ
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मालिक
१६. दोहिलुं = मुश्केल, दुर्लभ
१७. सोहिलुं = सहेलुं
१८. रंजीइं = खुश थवुं
१९. महिदी = एक प्रकारनुं नाणुं
२०. चूकीइं = चूकवुं
२१. व्रतसीम मर्यादा
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२२. द्विपद बे पग़वाळा
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२३. माला = मांचडो
२४. वहिल = शणगारेलुं गाडुं
२५. खडक =
खडकी
२६. गरहणानी
२७. आखडी
२८. धान = धान्य
२९. क्रियाणुं = करियाणुं
३०. इंधण = बळतण
३१. कुंभारनो घाट = घटादि सामग्री ?
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लेवानी
नियम
३२. खारां = मीठांना पाणीमां पलाळवा.
३३. वाखरो = घरवखरी
३४. जोअण
योजन
मोटुं जहाज
३५. शफरी ३६. वाणही
मोजडी
२५
कुंभारने त्यां मळती

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