Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २४ www.kobatirth.org // ढाल || || मल्हार || व्रत नुमइंजी सामाइक सुधां करूं, मासमांहिजी दस मनमां धरुं । वरसमांहिनी सामाइक संख्या भरुं, यात्रादिकजी कारण विण सघलां करुं ||६६ || जिम सामाइकजी ते रीति इहां राखीइं, व्रत बारमुंजी संविभाग नामई भाखीइ । बि सं[[व] भागजी वरसइ वारू कीजीइ, छति योगिजी मानवभवफल लीजीइं ।। ६८ ।। व्रत दसमुंजी सिख्या मनमां आंणीइं. चउद नियमनुंजी संभारखं वखांणीइं । इग्यारमुंजी पोषधव्रत आराधीइं, पोसा पांच जीव रसई वारुं साधीइं ॥ ६७ ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रोगादिक कारण विना, राजक दैवकइजी व्रत पालोजी सुधां सघलां एक मनां । इम करतांजी व्रतभंग हुइ कदा, दिवस बीजइंजी नीलवण न लेउं सदा । ।७० ।। जून २०१३ तदभाविजी भगति करूं साहमी तणी, दिसालोकनजी कीजई अथाव ते भणी । एक नुकारजी" समरी भोजन हुं करूं, श्रावकतणोजी सुधु मारग हुं आदरुं ॥ ६९ ।। For Private and Personal Use Only संवतसोलजी १६८३ वरस त्रासीओ जाणीइं, माहा सुदजी तेरस शुक्रवार आंणीइं । व्रत बारनीजी टीप लिखावी अति भली, ए पालतांजी बाइयानी शुभ आस्या फली ।।७१||

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