Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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// ढाल || || मल्हार ||
व्रत नुमइंजी सामाइक सुधां करूं, मासमांहिजी दस मनमां धरुं । वरसमांहिनी सामाइक संख्या भरुं, यात्रादिकजी कारण विण सघलां करुं ||६६ ||
जिम सामाइकजी ते रीति इहां राखीइं, व्रत बारमुंजी संविभाग नामई भाखीइ । बि सं[[व] भागजी वरसइ वारू कीजीइ, छति योगिजी मानवभवफल लीजीइं ।। ६८ ।।
व्रत दसमुंजी सिख्या मनमां आंणीइं. चउद नियमनुंजी संभारखं वखांणीइं । इग्यारमुंजी पोषधव्रत आराधीइं, पोसा पांच जीव रसई वारुं साधीइं ॥ ६७ ॥
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रोगादिक कारण विना,
राजक दैवकइजी व्रत पालोजी सुधां सघलां एक मनां । इम करतांजी व्रतभंग हुइ कदा, दिवस बीजइंजी नीलवण न लेउं सदा । ।७० ।।
जून २०१३
तदभाविजी भगति करूं साहमी तणी, दिसालोकनजी कीजई अथाव ते भणी । एक नुकारजी" समरी भोजन हुं करूं, श्रावकतणोजी सुधु मारग हुं आदरुं ॥ ६९ ।।
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संवतसोलजी १६८३ वरस त्रासीओ जाणीइं, माहा सुदजी तेरस शुक्रवार आंणीइं ।
व्रत बारनीजी टीप लिखावी अति भली,
ए पालतांजी बाइयानी शुभ आस्या फली ।।७१||

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